रायपुर। राजधानी के एनएचएमएमआई नारायणा हॉस्पिटल ने गंभीर मरीज के इलाज में एक बार फिर सफलता हासिल की है. 11 वर्ष की बच्ची का वजन मात्र 16 किलो था, और उसकी पहले ही दो बार सर्जरी हो चुकी थी. तीसरी बार भी सर्जरी के जरिए इलाज करना डॉक्टरों के लिए काफी चुनौतीपूर्ण रहा.
कमजोरी में ओपन हार्ट सर्जरी करना मरीज के लिए खतरा भी साबित हो सकता था, लेकिन डॉक्टर सुमंत पधि और उनकी टीम ने तमाम चुनौतियों के बावजूद हार नहीं मानी और डाक्टरों की टीम ने उम्मीद खो चुके माता-पिता को नई खुशी दी और बच्ची को नया जीवन दान दिया.
एनएचएमएमआई के कार्डियोलाजिस्ट डॉक्टर सुमंत शेखर पधि ने बताया कि 11 साल की मासूम बच्ची कॉन्जेनाइटल हार्ट डिसीज से पीड़ित थी. इस उम्र में बच्ची का वजन 40 किलो होना चाहिए था, मगर बीमारी की वजह से बच्ची का वजन महज 16 किलो था. ऐसे में बच्ची की सर्जरी कर पाना सम्भव नहीं था. डॉक्टर ने बताया कि ऐसे हालात में उनकी टीम ने बच्ची के हार्ट में दो पीडीए डिवाइसेस इंसर्ट करते हुए बच्ची को नया जीवन दान देने में कामयाबी हासिल की है.
हॉस्पिटल प्रबंधन का दावा है कि पूरे भारत में पहले और विश्व के दूसरे सबसे कम उम्र के मरीज का इलाज इस तकनीक से इलाज़ किया गया है. बच्ची के पिता सोहराब अली ने डॉक्टरों का धन्यवाद करते हुए कहा कि बहुत अच्छे से डॉक्टरों की टीम ने ऑपरेशन किया. बच्ची को ये परेशानी 2017 से थी खाने-पीने में दिक्कत होती है और यदि वो ठीक से खाना खा लेती थी, तो उसे चलने में दिक्कत होती थी, लेकिन अब सब कुछ ठीक है