रायपुर। राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद के संचालक श्री पी. दयानंद ने कहा कि राष्ट्रीय स्तर के प्रशिक्षण कार्यक्रम ‘निष्ठा’ से राज्य के स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों में गुणवत्तापूर्ण समग्र शिक्षा का असर दिखना चाहिए। उन्होंने कहा कि बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिले इसके लिए शिक्षकों का जुड़ाव निष्ठा प्रशिक्षण कार्यक्रम से रहे। यह सकारात्मक परिवर्तन निचले स्तर तक पहुंचे, तभी हर बच्चा लाभान्वित होगा। श्री दयानंद आज यहां निष्ठा प्रशिक्षण कार्यक्रम के फीड बैक सत्र में उपस्थित प्रतिभागियों को सम्बोधित कर रहे थे।

आईएएस दयानंद ने कहा कि सभी बच्चों को ऐसी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिले और उनका शैक्षणिक स्तर राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में चयन के काबिल हो जाए। उन्होंने कहा कि प्रदेश में स्कूल शिक्षा विभाग ने सबसे अधिक नवाचार किए हैं। छत्तीसगढ़ में कक्षा पहली से 8वीं तक का राज्य स्तरीय आकलन किया गया। इसकी तैयारी मात्र डेढ़ माह में की गई। यह आकलन बच्चों का ही नहीं पूरे सिस्टम का है। इसका विश्लेषण वैज्ञानिक तरीके से करना है। आकलन के बाद कक्षा में बच्चों को शिक्षा कैसे मिले, सबको साथ लेकर चलना है। कोई भी बच्चा गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त करने से ना छूटे, शिक्षक इसका ध्यान रखें। स्कूल और कक्षा में शिक्षक की भूमिका लीडरशिप की और बच्चों की भूमिका उनके अनुयायी की होनी चाहिए।

राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद के प्रोफेसर एस.व्ही. शर्मा ने फीड बैक सत्र की अध्यक्षता करते हुए कहा कि निष्ठा का उद्देश्य गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और बच्चों का समग्र विकास करना है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय रिसोर्स पर्सन्स ने यहां पांच दिनों तक छत्तीसगढ़ के की-रिसोर्स पर्सन्स और राज्य रिसोर्स पर्सन्स को प्रशिक्षण दिया। शिक्षा की गुणवत्ता के संबंध में चर्चा की गई उसका प्रभाव यहां सार्थकरूप से देखने को मिल रहा है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि निष्ठा प्रशिक्षण के बाद शिक्षक अपने विद्यालय की प्रतिष्ठा को बढ़ाएंगे। प्रोफेसर शर्मा ने कहा कि छत्तीसगढ़ के शिक्षकों में समाज के प्रति उत्तरदायित्व की चिंता देखने को मिली। प्रशिक्षण में शिक्षकों का प्रस्तुतिकरण देखकर पूरी उम्मीद है कि स्कूल में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा बच्चों को मिलेगी। प्रत्येक शिक्षक अपनी कक्षा और विद्यालय में लीडरशिप का रोल निभाएगा।

राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद की प्रोफेसर शशि प्रभा ने कहा कि प्रशिक्षण के बाद शिक्षक शिक्षा की गुणवत्ता को और भी ऊचाई तक पहुंचाएंगे। उन्होंने कहा कि प्रशिक्षण के बाद भी और भी सृजनात्मकता के साथ सीखने की आजादी है, लेकिन ध्यान रखे कि यह शिक्षार्थी केन्द्रित हो। सभी निष्ठा की वेब पोर्टल से जुड़कर अपने अनुभव और क्रिया-कलापों से अवगत कराएंगे। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय रिसोर्स पर्सन्स द्वारा पांच दिन के प्रशिक्षण में 68 सत्र हुए। जिसमें 600 से अधिक प्रतिभागियों ने प्रशिक्षण प्राप्त किया। सभी ने सीखने में उत्साह दिखाया।

राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद के संयुक्त संचालक डॉ. योगेश शिवहरे ने कहा कि निष्ठा प्रशिक्षण कार्यक्रम शिक्षा के क्षेत्र में छत्तीसगढ़ में परिवर्तन लाने की पहल है। उन्होंने बताया कि निष्ठा के अंतर्गत पहले चरण के प्रशिक्षण में राज्य के 28 जिलों के पांच संभाग के 95 विकासखण्डों के 600 से अधिक विद्यालय प्रमुख और शिक्षक प्रशिक्षण ले रहे हैं। प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद सभी राज्य रिसोर्स पर्सन्स बन जाएंगे और वे अपने जिलों में जाकर जिला और विकासखण्ड स्तर पर सभी प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों के शिक्षकों को प्रशिक्षित करेंगे।

इस अवसर पर राष्ट्रीय रिसोर्स पर्सन्स और विशेषज्ञ समूह के सदस्य प्रोफेसर आर.के. शर्मा, चेतन कुमार पाटीदार, गीतांजलि दास, प्रोफेसर अरूणा पाण्डेय, प्रोफेसर रंजना अरोरा, पी.के. चौरसिया, न्यूपा नई दिल्ली की डॉ. चारू स्मिता मलिक सहित अन्य विशेषज्ञ राज्य समन्वयक श्री संजय गुहे, डॉ. बी. रघ्घु, श्री प्रशांत पाण्डेय और अन्य प्रतिभागी उपस्थित थे।