सत्यपाल सिंह,रायपुर। राजधानी रायपुर के एम्स अस्पताल में सड़क दुर्घटना के मरीज को सही इलाज और व्यवस्था नहीं मिल पाया. जिस वजह से उसे ठंड में रात साढे तीन बजे निजी अस्पताल एमएमआई में भर्ती होना पड़ा. हादसे में मरीज का पैर और हाथ पूरी तरह फ्रैक्चर हो गया है. मरीज के एम्स अस्पताल से लौट जाने को लेकर अधीक्षक ने कहा कि मामला बेहद गंभीर है जांच के बाद कार्रवाई करेंगे. अस्पताल में 100 में से 99 लोगों को ठीक किया जाता है, लेकिन एक मरीज नाखुश होता है, तो ये बर्दाश्त नहीं होगा. इससे एम्स की छवि धूमिल होता है.
मिली जानकारी के मुताबिक पीड़ित मरीज का नाम रामनिवास उपाध्याय है. जिनका सोमवार को सड़क हादसे में हाथ-पैर फैक्चर हो गया था. उन्हें गरियाबंद जिला अस्पताल से एम्स रेफर किया गया था. जहां वो रात 8 बजे पहुंचे. पीड़ित के परिजन बंसत मिश्रा ने बताया कि एम्स पहुंचने पर वहां वाहन से उतारने के लिए कोई भी नहीं आया. वार्ड बॉय को मदद करने पर तो वह सेल्फ़ सर्विस कह कर चला गए, फिर हम भटकते रहे.
परिजनों का आरोप है कि मरीज को एक इंजेक्शन भी नहीं लगाया गया. बहुत मिन्नत करने के बाद इमरजेंसी वार्ड से एक्स-रे के लिए भेजा गया. एक्सरे के बाद हड्डी विभाग भेजा गया, जहाँ तीन बजे तक कोई डॉक्टर नहीं आया. कोई बेड तक नहीं मिला. मरीज दर्द से कराह रहा था. उसके दर्द को बढ़ते देख उसे साढ़े 3 बजे के करीब निजी अस्पताल लेकर गए. जहां इलाज चल रहा है. परिजनों ने कहा कि इतना बड़ा एम्स अस्पताल है, लेकिन कोई व्यवस्था नहीं है. भगवान भरोसे अस्पताल को छोड़ दिया जाता है.
इस संबंध में एम्स अधीक्षक करण पीपरे का कहना है कि एम्स से बिना इलाज मरीज का लौट जाना बेहद गंभीर मामला है. हमें अभी यह जानकारी नहीं है कि मरीज यहाँ से वापस क्यों गया ? यदि संबंधित विभाग, कर्मचारियों से लापरवाही हुई है या फिर जानबूझकर ये किया गया है, तो उनको बख़्शा नहीं जाएगा. उन पर कार्रवाई की जाएगी.
उन्होंने कहा कि संबंधित विभाग को नोटिस भेजकर जवाब माँगा गया है. जवाब आने पर आगे की कार्रवाई की जाएगी. साथ ही अधीक्षक ने कहा कि अगर 100 लोगों में से 99 लोगों को ठीक करते हैं, लेकिन एक मरीज़ नाख़ुश होता है, तो ये बर्दाश्त नहीं होगा. क्योंकि इससे एम्स की छवि धूमिल होता है.