रायपुर- एनआईए कानून को असंवैधानिक बताते हुए भूपेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई है. यह देश का पहला मामला है, जहां किसी राज्य सरकार ने एनआईए एक्ट को सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज किया है. सरकार की दलील है कि एनआईए एक्ट संवैधानिक व्यवस्थाओं के विपरीत है. केंद्र सरकार अपनी रूचि के मामलों में ही एनआईए जांच की अनुशंसा करती है, जबकि कानून के प्रावधानों के तहत दर्ज ऐसे ही कई मामले राज्य में चल रहे होते हैं. भूपेश सरकार की इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट जल्द सुनवाई कर सकता है.

राज्य सरकार के महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा ने लल्लूराम डाट काम से हुई बातचीत में सुप्रीम कोर्ट में एनआईए एक्ट को चुनौती दिए जाने की पुष्टि की है. उनका कहना है कि 2008 में केंद्र सरकार ने एनआईए एक्ट बनाया था. हमारा कहना है कि संवैधानिक प्रावधानों के विपरीत एनआईए के प्रावधान दिखाई पड़ते हैं. संविधान की अनुसूची 2 के भाग दो में इस बात का साफ जिक्र है कि पुलिसिंग व्यवस्था राज्य सरकार से संबंधित होगी. जबकि एनआईए एक्ट को आधार बनाकार केंद्र राज्य में चल रहे कई मामलों को जांच में ले लेती है. ऐसे मामलों की जांच किए जाने का फैसला केंद्र सरकार अपनी रूचि से ही कर लेती है.

सतीश चंद्र वर्मा ने कहा कि संविधान में लाॅ एंड आर्डर, पुलिसिंग जब राज्य के अधीन है, राज्य पुलिस जांच करने में सक्षम है, बेहतर जांच कर अपराधी को पकड़ सजा दिलाने की काबिलियत है, ऐसे में राज्य के इस अधिकार को एनआईए एक्ट के जरिए छिनने की कोशिश केंद्र को नहीं की जानी चाहिए.

महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा ने कहा कि हम किसी एक मामले की बात नहीं कर रहे हैं. हमारा कहना है कि राज्य में 59 ऐसे मामले चल रहे हैं, जिनमें कानून की समान धाराएं लगी है, लेकिन केंद्र सरकार की दखल पर एनआईए यदि इनमें से किसी एक मामले को जांच के दायरे में ले, यह नहीं होना चाहिए. यह कार्यवाही संविधान के खिलाफ है. वर्मा ने कहा कि राज्य सरकार की ओर से याचिका सुप्रीम कोर्ट में लगा दी गई है, उम्मीद है जल्द इस मामले की सुनवाई होगी.