रायपुर। विद्या की देवी माँ सरस्वती की आराधना का पर्व बसंती पंचमी आज है. माघ शुक्ल के पाँचवें दिन मनाया जाने वाला बसंत पंचमी का यही वह शुभ दिन जब माता सरस्वती प्रकट हुई थीं. यह माँ सरस्वती के प्राकट्य दिवस के रूप में भी मनाया जाता है.
पौराणिक कथाओं के अनुसार सृष्टि के रचियता ब्रह्माजी ने जब सृष्टि की रचना की तो समस्त जीव मूक थे. उन्होंने जब धरती को मूक और नीरस देखा तो अपने कमंडल से जल लेकर छिड़का जिससे एक अद्भुत शक्ति के रूप में चतुर्भुजी सुंदर स्त्री प्रकट हुई जिनके एक हाथ में वीणा एवं दूसरा हाथ वर मुद्रा में था. यह शक्ति सरस्वती कहलाईं. उनके द्वारा वीणा का तार छेड़ते ही तीनों लोकों में कंपन हो गया और सबको शब्द और वाणी मिल गई.
इस तरह आज के दिन संगीत, काव्य, कला, शिल्प, रस, छंद, शब्द शक्ति जिह्वा को प्राप्त हुई थी. वसंत पंचमी पर पीले वस्त्र पहनने, हल्दी से सरस्वती की पूजा और हल्दी का ही तिलक लगाने का विधान है. पीला रंग इस बात का द्योतक है कि फसलें पकने वाली हैं इसके अलावा पीला रंग समृद्धि का सूचक भी कहा गया है. इस पर्व के साथ शुरू होने वाली वसंत ऋतु के दौरान फूलों पर बहार आ जाती है, खेतों में सरसों सोने की तहर चमकने लगता है, जौ और गेहूं की बालियां खिल उठती हैं और इधर उधर रंगबिरंगी तितलियां उड़ती दिखने लगती हैं. इस पर्व को ऋषि पंचमी के नाम से भी जाना जाता है.