रायपुर- नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ भूपेश कैबिनेट में लाए गए प्रस्ताव पर पूर्व मुख्यमंत्री डाक्टर रमन सिंह ने कटाक्ष किया है. उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा है कि क्या मंत्रियों और अधिकारियों ने सीएए का प्रावधान नहीं पढ़ा हैं? रमन ने कहा कि यह अजीब कैबिनेट है, अजीब ढंग से सरकार चल रही है. कांग्रेस सरकार ने सीएए का एक पन्ना भी नहीं देखा होगा. यदि उन्हें यह समझ नहीं आ रहा है, तो कम से कम पूछ लेना चाहिए.

मुख्यमंत्री की इन टिप्पणियों पर डाक्टर रमन सिंह ने कहा कि सरकार के मंत्री ने सीएए पर सवाल उठाते हुए कहा था कि आदिवासियों का जन्मस्थान पूछा जाएगा. आईडेंडिटी चेक की जाएगी, जबकि इसका सीएए से कोई लेना-देना नहीं है. यह अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश में प्रताड़ित होकर भारत आए लोगों को अधिकार देने का कानून है. पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि कैबिनेट में यदि इस विषय को लाया गया, तो होना यह चाहिए था कि मुख्य सचिव इसे लेकर प्रेजेंटेशन दिखाते, लेकिन लगता है कि अधिकारियों ने सीएए का प्रावधान नहीं देखा है. डाक्टर रमन सिंह ने कहा कि कांग्रेस सरकार विधानसभा के बजट सत्र में जब सीएए के खिलाफ प्रस्ताव लाएगी, तब हम उनसे पूछेंगे कि कानून की किस किताब में लिखा है कि आदिवासियों से कुछ पूछा जाएगा?
गौरतलब है कि केरल, पंजाब, राजस्थान और पश्चिम बंगाल की तर्ज पर नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ छत्तीसगढ़ विधानसभा में प्रस्ताव लाने के पहले भूपेश कैबिनेट की बैठक में आज इस पर चर्चा हुई. चर्चा के बाद कैबिनेट ने नए संशोधन कानून पर असहमति दर्ज की.इसके बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखते हुए अधिनियम को संविधान के अनुच्छेद 14 के विपरीत बताया. उन्होंने लिखा कि इस अधिनियम का वर्तमान संशोधन धर्म के आधार पर अवैध प्रवासियों का विभेद करता है. संविधान के समक्ष सभी संप्रदाय समान होते हैं. संसद के द्वारा अधिनियम नागरिकता संशोधन अधिनियम धर्म निरपेक्षता के इस संवैधानिक आधारभूत भावना को खंडित करता दिखाई देता है.छत्तीसगढ़ में मूलतः अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति व अन्य पिछड़े वर्ग के निवासी हैं. इनमें बड़ी संख्या में गरीब, अशिक्षित और साधनविहीन हैं. इनको इस अधिनियम की औपचारिकता को पूर्ण करने में कठिनाइयों का निश्चित रूप से सामना करना पड़ सकता है.