रायपुर- धान खरीदी के मसले पर पूर्व मुख्यमंत्री डाक्टर रमन सिंह ने सरकार पर सवाल उठाते हुए कहा है कि किसानों से जुड़े ऐसे संवेदनशील मुद्दे पर सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी कितनी असंवेदनशील है, ये मंत्रियों के मतभेद से सामने आ रहा है. एक मंत्री कहते हैं कि खरीदी आगे बढ़ाने सहानुभूति पूर्वक विचार करना चाहिए,जबकि दूसरे मंत्री का यह बयान आता है कि धान खरीदी की मियाद आगे नहीं बढ़ाएंगे. बता दें कि खाद्य मंत्री अमरजीत भगत ने एक बयान में धान खरीदी की तारीख आगे बढ़ाने से साफ इंकार कर दिया था, वहीं इस पर मीडिया के सवालों के जवाब में मंत्री टी एस सिंहदेव ने कहा था कि सरकार को किसानों की मांग पर विचार किया जाना चाहिए.
डाक्टर रमन सिंह ने कहा, सवाल इस बात का है कि 3 लाख से ज्यादा किसानों के घर धान पड़ा हुआ है. बारिश, बारदाने की कमी समेत कई तकनीकी कारणों से किसान अपना धान नहीं बेच पाए हैं. खरीदी के लिए निर्धारित शेड्यूल के हिसाब से भी देखे तो अलग-अलग कारणों से करीब 15 दिनों की कमी आई. ऐसे में सरकार को धान खरीदी की मियाद 15 दिन बढ़ानी चाहिए. इसके लिए किसी से पूछने की जरूरत नहीं है. कैबिनेट में इसका फैसला होना चाहिए. उन्होंने कहा कि मंत्रियों के झगड़ों में किसान क्यों पीसा जाना चाहिए? किसानों के बीच आज असमंजस की स्थिति है कि जो धान घर में पड़ा है, उसका क्या होगा? सरकार ने अपने घोषणा पत्र में वादा किया था कि एक- एक दाना धान खरीदेंगे, लेकिन किसान दाना-दाना बेचने का मोहताज हो गया है. किसान कितनी मुश्किल से धान पैदा करता है, इसकी बिल्कुल भी पीड़ा सरकार को नहीं है. धान खराब हो रहा है, यह राष्ट्रीय नुकसान भी है. धान किसान के जीवन का अहम हिस्सा है. सरकार गंभीर नहीं है. धान यदि सोसायटी नहीं खरीदेगा, तो व्यापारी खरीद लेगा, जहां किसानों को कोई रेट नहीं मिलेगा. यह पीड़ाजनक बात है.
पंचायत चुनाव थे, इसलिए सरकार ने चुप्पी साध रखी थी
पूर्व मुख्यमंत्री डाक्टर रमन सिंह ने कहा कि राज्य में पंचायत चुनाव चल रहे थे. 3 फरवरी को आखिरी चरण के मतदान खत्म होने तक सरकार के किसी भी मंत्री ने धान खरीदी की नीति पर किसी तरह का बयान नहीं दिया, लेकिन जैसे ही चुनाव खत्म हुए बयानों का दौर शुरू हो गया है. इन्हें डर था कि पंचायत के चुनाव में किसानों की नाराजगी मोल लेनी ना पड़ जाए. यदि यह बयान पहले आए होते, तो जनता की प्रतिक्रिया अलग होती. डाक्टर रमन सिंह ने कहा कि विधानसभा के आगामी बजट सत्र में बीजेपी इन मुद्दों को सदन में उठाएगी. साथ ही किसानों के साथ सड़कों पर भी आंदोलन किया जाएगा.