राजिम। माघ पूर्णिमा के अवसर पर भगवान राजीव लोचन के जयंती धूमधाम से मनाई गई. इस मौके पर ब्रम्हमूहुुर्त में पंचामृत अभिषेक किया गया, जिसमें दूध, दही, घी, मधुरस, शर्करा से अभिषेक तत्पश्चात स्नान के बाद वस्त्राभूषण से सुसज्जित किया गया. स्वर्णाभूषण के पश्चात भगवान का स्वरूप अत्यंत मनमोहिनी दिख रहा था. सुबह 6 बजे बाल आरती होने के बाद दर्शनार्थ हेतु पट खोला गया. मंदिर के पुजारियों ने बताया कि दोपहर 12 बजे निषान पूजा (ध्वज पताका) पश्चात भगवान राजीवलोचन को पगड़ी पोषाक पहनाया गया जिसका दर्शन श्रद्धालुओं ने देर रात तक किया.

 

मंदिर के गर्भ-गृह महामण्डप का विभिन्न प्रकार के फूलों से भव्य सजावट आने वाले दर्शनार्थियों के बीच आकर्षण का केन्द्र बना हुआ है. उल्लेखनीय है कि भगवान राजीव लोचन के जन्मोत्सव के अवसर पर मंदिर को फलों से सजाने की शुरूआत पिछले वर्ष से की जा रही है. इस वर्ष भी पिछले वर्ष की भांति मंदिर की गर्भ-गृह को 2 क्विंटल फूलों से सजाया गया है, जिसके कारण फूलों से सज्ज गर्भ-गृह का आकर्षण बढ़ने के कारण दर्शनार्थियों को भगवान राजीव लोचन के दर्शनों के साथ फूलों के सानिध्य के बीच असीम आत्मिक संतुष्टि का अहसास मिलने का भाव उनके चहरे पर स्पष्ट नजर आता दिखाई देता है. आज के दिन भगवान राजीव लोचन विशेष श्रृंगार एवं अनुष्ठान किया जाता है. ऐसी भी मान्यता है कि आज के दिन जगन्नाथपुरी के भगवान जगन्नाथ, भगवान राजीव लोचन से मिलने राजिम आते हैं. कहा जाता है यदि आज के दिन जो भी व्यक्ति तीनों पहर में भगवान राजीव लोचन के दर्शन करता है, उसे जगन्नाथपुरी की यात्रा का पुण्य प्राप्त होता है.

मुख्य मंदिर राजीवलोचन के अलावा दान-दानेश्वर महादेव, राज-राजेश्वरनाथ महादेव, राजिम भक्तिन माता मंदिर, वराह अवतार मंदिर, नृसिंह अवतार मंदिर, बद्रीनारायण मंदिर, वामन अवतार मंदिर, साक्षी गोपाल मंदिर, जगन्नाथ मंदिर, तट पर स्थित भूतेश्वरनाथ महादेव मंदिर, पंचेश्वरनाथ महादेव मंदिर, सोढूर, पैरी एवं महानदी के संगम पर स्थित पंचमुखी कुलेश्वरनाथ महादेव मंदिर आदि सभी मंदिरों को लाइटों की रोशनी से सजाया गया है जो देखते ही बन रही है. खासतौर से रात्रिकाल में इनकी आभा बिखर जाती है.