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पंकज भदौरिया, दंतेवाड़ा. जिले के अरनपुर थाना के सामने सोमवार को नहाड़ी, बुरगुम, पोटाली, रेवाली,जबेली, तनेली से सैकड़ों ग्रामीण पुलिसिया नीति का विरोध करने पहुंचे थे. साथ ही 1 फरवरी को नीलवाया के ग्रामीण मोहन भास्कर की हत्या को लेकर भी सवाल खड़े किये गए.
दरअसल मोहन भास्कर पोटाली नवीन पुलिस कैम्प में तैनात था. मगर उसकी हत्या के बाद उसके मृत शरीर का अंतिम दैहिक संस्कार उसके गांव तक में नहीं हो पाया जिसको लेकर ग्रामीणों में रोष है.
समेली में जमा क्षेत्रभर के जनप्रतिनिधियों ने सामाजिक कार्यकर्ता सोनी सोरी के साथ एक स्वर में विरोध कर रहे थे. आंदोलन में शामिल ग्रामीणों की मुख्य मांग थी कि पोटाली में तैनात कैम्प डीआरजी, पुलिस या सीआरपीएफ जवानों का है स्पष्ट हो. साथ ही 2 फरवरी को मोहन भास्कर की हत्या से पहले पुलिस में मोहन भास्कर किस पद में कार्य करता था, कितनी तनख्वाह थी उसके अंतिम संस्कार को सम्मान से उसके ही गांव में क्यो नहीं किया गया. आंदोलन में सरपंच संघ के अध्यक्ष सुकालू मुड़ामी, जनपद सदस्य लक्ष्मी, पायके मरकाम, शंकर कुंजाम, संजय समेली सरपंच समेत कई गांवों के सरपंच जनप्रतिनिधि मौजूद थे.
इधर, पुलिस ने भी बड़ी सुरक्षा व्यवस्था कर रखी थी. महिला डीआरजी जवानों के साथ किरन्दुल,दन्तेवाड़ा, नकुलनार, अरनपुर टीआई और दन्तेवाड़ा एसडीओपी भी थे. जिन्होंने प्रशासन की तरफ से 2 बिंदुओं पर लिखित जानकारी सरपंच संघ को देते हुए लिखा कि पोटाली में तैनात कैम्प शस्त्र सुरक्षा बल का है. जिस पर अतरिक्त सुरक्षा के लिए डीआरजी और डीएफ के जवान भी तैनात है. 2 फरवरी को मृतक मोहन भास्कर गोपनीय सैनिक के रूप में कार्य करता था. लिखित आश्वासन के बाद आंदोलन स्थगित हो गया.