
रायपुर. राज्य के उदंती सीता नदी टायगर रिजर्व गरियाबंद के वन भैंस संरक्षण संवर्धन केन्द्र जुगाड़ में मादा वन भैंसा ‘आशा’ की मृत्यु मंगलवार को सुबह 6 बजे हुई. इसकी सूचना मिलते ही प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्य प्राणी) अतुल शुक्ला तथा अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्य प्राणी) अरूण कुमार पाण्डेय द्वारा तत्काल मौके पर पहुंचकर उसकी मृत्यु के बारे में जानकारी ली गई. इस मौके पर उनके साथ उपस्थित समस्त वन अधिकारियों द्वारा मादा वन भैंसा की मृत्यु पर उसे श्रद्धांजलि भी दी गई. इस दौरान मादा वन भैंसा आशा का पोस्टमार्टम तथा दफनाने की कार्रवाई की गई.
लगभग 17 वर्षीय मादा वन भैंसा आशा का वन अधिकारियों की उपस्थित में पशु चिकित्सालय पाण्डुका, गरियाबंद, छुरा, जंगल सफारी और बारनवापारा के पशु चिकित्सकों द्वारा पोस्टमार्टम किया गया. पशु चिकित्सकों द्वारा पोस्टमार्टम के बाद बताया गया कि मादा वन भैंसा आशा की मृत्यु वृद्धावस्था में होने के कारण एक प्राकृतिक मृत्यु है. इसके पूर्व चिकित्सकों के दल द्वारा मादा वन भैंसा के सम्पूर्ण शरीर का परीक्षण किया गया. उनके द्वारा मादा वन भैंसा के शरीर में कोई चोट अथवा घाव के निशान संबंधी असामयिक मृत्यु जैसे कोई लक्षण नहीं पाए गए.
गौरतलब है कि वन भैंसा संरक्षण एवं संवर्धन केन्द्र जुगाड़ में ‘आशा’ को वर्ष 2005-06 में लाई गई थी. विगत 15 वर्षों में आशा ने छह बच्चों को जन्म दिया, जिसमें एक मादा तथा शेष वन भैंसे हैं. आशा से उत्पन्न समस्त बच्चे स्वस्थ अवस्था में है. इस अवसर पर प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्य प्राणी) शुक्ला ने अपनी श्रद्धांजलि देते हुए ‘आशा’ को इस केन्द्र की कुल माता बताया और वन भैंसा के संवर्धन में योगदान को भी रेखांकित किया. उन्होंने सभी वन अधिकारियों से आव्हान किया कि वे राज्य वन पशु जंगली वन भैंसा के संवर्धन तथा संरक्षण में हर संभव प्रयास करे. साथ ही ग्रामवासियों को भी इस दिशा में जागरूक करें.
वन भैंसा संरक्षण एवं संवर्धन केन्द्र के नियमों तथा कार्य विधियों के अनुसार केन्द्र में रखे गए सभी भैंसों के गतिविधियों की प्रतिदिन रिकॉर्डिंग की जाती है. कल 17 फरवरी को केन्द्र प्रभारी तथा वन अधिकारियों द्वारा यह देखा गया कि आशा सुस्त अवस्था में बैठी है. तत्काल ही मौके पर पहुंचकर वन अधिकारियों और चिकित्सकों द्वारा उसका उपचार कर आवश्यक दवाईयां दी गई. इस अवसर पर शुक्ला और पाण्डेय सहित उप निदेशक उदंती सीतानदी टायरग रिजर्व गरियाबंद के उप निदेशक विष्णुराज नायक, उप वन मंडलाधिकारी शशिकानंदन तथा वन विभाग के अन्य अधीनस्थ अधिकारी तथा कर्मचारीगण उपस्थित थे.