विप्लव गुप्ता, पेण्ड्रा. जिले में शिक्षा विभाग का अमानवीय चेहरा उजागर हुआ है. एक सेवानिवृत्त शिक्षक की विधवा को 20 साल से पेंशन नहीं दिया है. वह सालों से विभागों का चक्कर काटती रही, कार्यालयों में भटकती रही, लेकिन किसी ने उनकी एक नहीं सुनी. विभाग के बाबू कागजी कार्रवाई में उलझाते रहे. अब शिक्षक की पत्नी दूसरों के घरों में बर्तन मांज कर अपने परिवार का भरण पोषण कर रही हैं. वहीं बच्चे रोजी मजदूरी कर गुजारा करने को मजबूर है, जबकि जिम्मेदार अधिकारियों के पास 20 वर्षों से परिवार को आश्वासन देने के सिवाय और कुछ नहीं है.

मामला मरवाही विकासखंड का है, जहां टेकरी प्राथमिक शाला में सहायक शिक्षक के रूप में कार्यरत रहे रोहिणी प्रसाद भट्ट की मृत्यु रिटायरमेंट के कुछ दिन बाद हो गई. इस दौरान रोहिणी भट्ट की पेंशन शुरू नहीं हुई थी. बच्चे छोटे और कम पढ़ी-लिखी पत्नी होने की वजह से कोई भी शिक्षा विभाग के अधिकारियों तक अर्जी लेकर नहीं पहुंच सका और गए भी तो नियमों और दस्तावेजों की ऐसी लिस्ट पकड़ाई गई की परिवार के लिए उन्हें जमा करना दूभर हो गया. कार्यालय में बाबूराज का ऐसा जलवा है कि ऐसे लोगों को पूछता ही कौन है.

नतीजा पीड़ित परिवार शिक्षा विभाग के रायपुर, बिलासपुर और मरवाही कार्यालयों के चक्कर लगाते थक गए, कार्यालयों से पैसा तो नहीं मिला पर आने-जाने में खर्च के साथ परिवार का भरण पोषण करने की जिम्मेदारी पत्नी पर आ गई. शिक्षक की पत्नी होने के बावजूद परिवार चलाने के लिए पुनिया भाई को दूसरों के घरों में जूठे बर्तन मांजने और झाड़ू पोछे का काम करके भरण-पोषण करना पड़ा. रुपए के अभाव में बच्चों की शिक्षा भी नहीं हो सकी और बच्चे भी मां के साथ रोजी मजदूरी में लगे रहे. पति की मौत और रिटायरमेंट को 20 साल हुए पर आज भी परिवार उनके ग्रेच्युटी पेंशन और जीपीएफ फंड के लिए दर-दर भटक रहा है.

शासकीय सेवक के सेवानिवृत्ति या मृत्यु होने की स्थिति में नियमानुसार 1 माह के भीतर सेवानिवृत्त या परिजनों को पेंशन मिलना शुरू हो जाना चाहिए पर रोहिणी प्रसाद भट्ट के मामले में ऐसा नहीं हुआ. तत्कालीन अधिकारियों ने उनकी मृत्यु के बाद उनकी सेवानिवृत्ति तिथि को लेकर भ्रम की स्थिति पैदा कर दी. जिसका निपटारा 20 साल में नहीं हो सका.

मरवाही विकासखंड के शिक्षा अधिकारी आरएस परस्ते ने बताया कि सारे प्रकरणों का निपटारा कर लिया गया है. बहुत जल्द उनका पेंशन शुरू हो जाएगा. साथ ही सभी लंबित देयकों का भी भुगतान परिजनों को कर दिया जाएगा.