रायपुर- सत्ता की घुरी के इर्द-गिर्द माने जाने वाले बड़े चेहरों के ठिकानों पर आईटी दबिश के बीच जानकारी सामने आ रही है कि पिछले तीन महीनों से उन्हें सर्विलांस में रखा गया था. इंकम टैक्स डिपार्टमेंट के सूत्र बताते हैं कि इसके लिए केंद्रीय इंटेलीजेंस ब्यूरो लगातार इनपुट जुटा रहा था. जिन लोगों के ठिकानों पर छापे मारे गए, उनके हर एक ट्रांजेक्शन, इनवेस्टमेंट के साथ-साथ उनके मूवमेंट पर भी नजर बनी थी. बड़ी बात जो सामने आ रही है कि आईटी की जद में कई मंत्री और नौकरशाह अब भी हैं, जिनके ठिकानों पर छापा मारा जा सकता है. इस कार्रवाई में आईटी के अलावा ईडी, सेंट्रल जीएसटी समेत पांच एजेंसियां जुटी हुई है.

जांच एजेंसियों के सूत्र बताते हैं कि शराब और रेत के धंधों से अवैध कमाई किए जाने से पूरे मामले की कलई खुली थी. सैकड़ों करोड़ रूपए के हवाले की खबर इंटेलीजेंस ब्यूरो को मिली थी, जिसके बाद स्पेशल यूनिट लगाकर सर्विलांस पर रखने की कवायद शुरू की गई थी. शुरूआती जानकारी कहती है कि दूसरे राज्यों में हुए चुनाव के दौरान बड़े पैमाने पर पाॅलिटिकल फंडिग जुटाई गई थी. यह राशि शराब के बड़े कारोबारियों और रेत के ठेकेदारों से हासिल की गई थी.
राज्य पुलिस के आला अधिकारियों की माने तो इस बात की सूचना राज्य इंटेलीजेंस के पास थी कि सेंट्रल स्तर पर सर्विलांस किया जा रहा है. बावजूद इसके सेंट्रल एजेंसियों ने इस छापे की किसी को भी कानो कान खबर होने नहीं दी. यहां तक की स्थानीय स्तर पर पुलिस प्रशासन का भी सहयोग नहीं लिया गया.
500 अधिकारियों की बड़ी टीम कर रही जांच
बताया जा रहा है कि पूर्व मुख्य सचिव विवेक ढांड, महापौर एजाज ढेबर, शराब कारोबारी अमोलक भाटिया, होटल कारोबारी गुरूचरण होरा, संजय संचेती, मीनाक्षी टुटेजा, कमलेश जैन,आबकारी विभाग के ओएसडी ए पी त्रिपाठी, सीए अजय सिंधवानी के ठिकानों पर पड़े छापे में इंकम टैक्स समेत विभिन्न एजेंसियों के करीब पांच सौ अधिकारी-कर्मचारी शामिल किए गए हैं. स्थानीय स्तर पर पुलिस का सहयोग लेने की बजाए सेंट्रल पैरा मिलिट्री फोर्स सीआरपीएफ के 200 जवानों को तैनात किया गया है. सूचना पाकर पहुंची स्थानीय पुलिस को भी इस मामले में दखल दिए जाने से सख्ती से रोका जा रहा है.