रायपुर. छत्तीसगढ़ में मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना) के तहत नक्सल प्रभावित बीजापुर, सुकमा और दंतेवाड़ा जिले में लक्ष्य से अधिक लोगों को रोजगार उपलब्ध कराया गया है. चालू वित्तीय वर्ष 2019-20 में लक्ष्य के मुताबिक रोजगार देने में बीजापुर और सुकमा प्रदेश में पहले और दूसरे स्थान पर हैं. वहीं दंतेवाड़ा शीर्ष पांच जिलों में शुमार है. इन तीनों जिलों के साथ ही बालोद, जशपुर और रायपुर ने भी लक्ष्य के 100 फीसदी से अधिक रोजगार सृजन किया है. बीजापुर में इस वर्ष दस लाख छह हजार मानव दिवस लक्ष्य के विरूद्ध अब तक 15 लाख 60 हजार तथा सुकमा में 22 लाख 74 हजार मानव दिवस के विरूद्ध 28 लाख चार हजार मानव दिवस रोजगार उपलब्ध कराया गया है.

बालोद जिले में इस साल 56 लाख 31 हजार मानव दिवस लक्ष्य के विरूद्ध 60 लाख आठ हजार, जशपुर में 44 लाख छह हजार मानव दिवस के विरूद्ध 46 लाख 33 हजार, दंतेवाड़ा में 13 लाख 79 हजार मानव दिवस के विरूद्ध 13 लाख 92 हजार और रायपुर में 42 लाख 29 हजार मानव दिवस के विरूद्ध 42 लाख 56 हजार मानव दिवस रोजगार का सृजन किया गया है. प्रदेश में इस वर्ष मनरेगा जॉब-कार्डधारी श्रमिकों को 13 करोड़ मानव दिवस के विरूद्ध अब तक 11 लाख 72 हजार मानव दिवस रोजगार उपलब्ध कराया जा चुका है. यह भारत सरकार द्वारा चालू वित्तीय वर्ष में छत्तीसगढ़ के लिए स्वीकृत लेबर बजट का 90 फीसदी से अधिक है.

बीजापुर और बलरामपुर-रामानुजगंज जिले में इस साल पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में दुगुने से भी अधिक परिवारों को 100 दिनों का रोजगार उपलब्ध कराया गया है. इस वित्तीय वर्ष में बीजापुर में अब तक चार हजार 867 परिवारों को 100 दिनों का रोजगार मिला है, जो पिछले वर्ष के दो हजार 226 दिनों के दुगुने से भी अधिक है. बलरामपुर-रामानुजगंज में इस साल 12 हजार 849 परिवारों को 100 दिनों का रोजगार उपलब्ध कराया गया है, जबकि पिछले वर्ष यह संख्या छह हजार 138 थी.