रायपुर। विधानसभा में बजट पर हो रही चर्चा में नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने भूपेश बघेल सरकार पर वित्तीय कुप्रबंधन का आरोप लगाया. उन्होंने ग्रीस की अर्थव्यवस्था की तरह कर्ज से लदे छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था के आने वाले दिनों में चौपट होने की बात कही. इसके अलावा उन्होंने जीएसडीपी की अनुमानित वृद्धि में कमी आने पर सवाल खड़ा किया.

धरमलाल कौशिक ने बजट पर चर्चा के दौरान कहा कि ग्रीस यूरोप का एक विकसित देश के नाम से जाना जाता था, लेकिन राजस्व की वृद्धि किये बिना शासकीय खर्चो में वृद्धि करने से ग्रीस की अर्थव्यवस्था पटरी में उतर गई थी. ग्रीस जब यूरोपियन संघ से जुड़ा तो यूरोप के अनेक देशों ने उसकी आर्थिक मदद की, जिससे ग्रीस की अर्थव्यवस्था में सुधार हुआ.

उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे समय गुजरा और यूरोपीयन देशों द्वारा दिए गए ऋणों को चुकाने की बारी आई तो राजस्व नहीं होने के कारण पूरी अर्थव्यवस्था बैठ गई और आज कंगाली के हाल पर है. छत्तीसगढ़ में भी 14 माह में 17 हजार करोड़ का ऋण लिया गया है, लेकिन राजस्व बढ़ाने का कोई प्रयास नहीं किया गया है. इससे आने वाले दिनों में छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था में बहुत प्रभाव पड़ेगा.

कौशिक ने कहा कि इस वर्ष कुल बजट 1 लाख 2 हजार 907 करोड़ है, जबकि पिछली वर्ष का बजट लगभग 95 हजार करोड़ का था. 79 हजार करोड़ का राजस्व मिलना अपेक्षित था, जबकि वास्तविकता में 75 हजार करोड़ की राजस्व मिला जो वित्तीय कुप्रबंधन का सूचक है. इसके अलावा अनुमानित व्यय 90 हजार करोड़ का होना था, जो वास्तविकता में 97 हजार करोड़ हुआ. यह भी वित्तीय कुप्रबंधन ही है. इस प्रकार राजस्व एवं व्यय में 22 हजार करोड़ रुपए का अंतर होना प्रदेश के लिए घातक है.

उन्होंने ग्रामीण अर्थव्यवस्था की वृद्धि पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि सरकार का यह दावा है कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बहुत मजबूत किया है एवं लोगों की आय दुगुनी कर दी है, लेकिन आर्थिक आंकड़े के अनुसार, प्रति व्यक्ति आय में केवल 6.32 प्रतिशत की वृद्वि अनुमानित है, जबकि राष्ट्रीय स्तर पर यह वृद्धि 6.8 प्रतिशत की दर अनुमानित है. जबकि पिछले वर्ष प्रदेश की प्रति व्यक्ति आय 7.9 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई थी.

छत्तीसगढ़ के सकल राज्य घरेलू उत्पाद पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि जो पिछले वित्तीय वर्ष में 7.06 प्रतिशत अनुमानित था, जो अब घटकर 5.32 प्रतिशत अनुमानित किया गया है. आखिर प्रदेश की अर्थव्यवस्था को देश के अर्थव्यवस्था से मजबूत करने के कई दावों के बावजूद जीएसडीपी की अनुमानित वृद्धि में कमी क्यों आ रही है? उन्होंने आंकड़ों पर चर्चा करते हुए कहा कि चाहे कृषि क्षेत्रों में उद्योग क्षेत्र हो चाहे सेवा का क्षेत्र, सारे क्षेत्रों में हमारी जो वृद्धि है वह कम हुई है.