रायपुर. बैलाडीला की माइनिंग सवालों के घेरे में है. सवाल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की करीबी कंपनी अडानी इंटरप्राइजेस को एमडीओ देने के वक्त को लेकर भी उठने शुरु हो गये हैं. बैलाडीला में एमडीओ नियुक्त करने के एमओयू पर दस्तखत 6 दिसंबर 2018 को हुए.जबकि ठीक पांच दिन बाद 11 दिसंबर को राज्य के विधानसभा चुनाव के नतीजे आने वाले थे. जिस वक्त राज्य में आचार संहिता लगी हुई थी. आखिर इस प्रक्रिया के लिए पांच दिन का इंतज़ार क्यों नहीं किया गया.

अडानी को एमडीओ नियुक्त करने का एमओयू हैदराबाद में नेशनल मिनरल ड्वेलपमेंट लिमिटेड, राज्य सरकार की इकाई सीएमडीसी और अडानी इंटरप्राइजेस के बीच हुआ. हैदराबाद में एनएमडीसी का प्रधान कार्यालय है. गौरतलब है कि उस वक्त सीएमडीसी के अध्यक्ष शिवरतन शर्मा थे. जबकि एनएमडीसी के चेयरमैन एन बैजेंद्र कुमार थे. जो पूर्व में रमन सिंह के करीबी नौकरशाह रहे हैं.

ये बात भी अहम है कि भूपेश बघेल ने कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए इस प्रक्रिया पर गंभीर सवाल उठाए थे. तो क्या तात्कालीन नौकरशाहों को ये डर था कि भूपेश बघेल अगर मुख्यमंत्री बन जाएंगे तो इस पूरी कवायद में पलीता लग सकता है ?

ये बात रेखांकित करने वाली है कि बैलाडीला के रुप में अडानी इंटरप्राइजेस को पहला आयरन की खुदाई का ठेका मिला था. इससे पहले वो केवल कोयले के खनन का काम करती थी. ये भी दिलचस्प है कि अडानी को एमडीओ बनाने की प्रक्रिया केवल एक साल में पूरी कर ली गई .जबकि बैलाडीला में लाइसेंस लेने की प्रक्रिया जनवरी 1990 से चल रही थी.

क्रोनोलॉजी तो समझिए…

सवाल इस प्रक्रिया की क्रोनोलॉजी को लेकर भी है. 1991 में बैलाडीला के करीब 32 करोड़ 40 लाख टन के डिपोज़िट के लिए प्रोस्पेक्टिव लाइसेंस 2 साल के लिए मिला.प्रक्रिया आगे बढ़ती रही और जनवरी 2017 में राज्य सरकार ने एनएमडीसी को 13 नंबर डिपोजिट के लिए माइनिंग लीज़ प्रदान की.

इस बीच 2006 में एनएमडीसी और सीएमडीसी के बीच 13 नंबर डिपोज़िट को लेकर एनएमडीसी और सीएमडीसी के बीच एमओयू हुआ. 27 मार्च 2007 को एनएमडीसी और सीएमडीसी के बीच 13 नंबर के डिपोज़िट में लौह अयस्क के विकास, उत्पादन और मार्केटिंग के लिए करार हुआ.जिसके लिए  दोनों का संयुक्त उपक्रम बनाया गया. एनसीएल के नाम से इस कंपनी का रजिस्ट्रेशन 19 जुलाई 2008 को हुआ.

इसके बाद मार्च 2017 में दोनों कंपनियों ने तय किया कि डिपोज़िट 13 का लीज़ ट्रांसफर कराने का आवेदन दिया जाएगा. लीज़ ट्रांसफर कराने का जिम्मा एनएमडीसी को दिया गया.  16 नवंबर 2017 को एनसीएल के पक्ष में लीज़ आर्डर ट्रांसफर हो गया.

एनसीएल ने बैंक गारंटी के रुप में 504 करोड़ रुपये 4 दिसंबर 2017 की बैंक गारंटी जमा की. सीएमडीसी ने सहमति पत्र के साथ 49 प्रतिशत बैंक गारंटी 4 जनवरी 2018 को जमा की.

लीज़ एनसीएल को ट्रांसफर होने से कुछ दिन पहले 14 नवंबर 2017 को ज्वाइट वैंचर कंपनी के बोर्ड ने एमडीओ प्रक्रिया के ज़रिए इ टेंडर जारी करने की मंज़ूरी दी. यहां से प्रक्रिया तेज़ी से एक्जेक्यूट होनी शुरु हुई. एमएसटीयू पोर्टल में एमडीओ के चयन के लिए 18 जनवरी 2018 को टेंडर जारी हुआ.

टेंडर के फॉर्म 10 कंपनियों ने खरीदे. 3 अप्रैल 2018 को टेंडर स्क्रूटनी कमेटी की हैदराबाद में बैठक हुई.जिसने अडानी इंटरप्राइज़ेस गुडगांव, त्रिवेणी अर्थमूवर्स सालेम को एमडीओ को योग्य पाया. जबकि दुबई की कंसोर्टियम ऑफ गोमेज जनरल ट्रेडिंग और इंडोनेशिया की पीटी धर्मा हेन्वा टीबीके को टेंडर के लिए अयोग्य माना. स्क्रूटनी कमेटी कंसोर्टियम ऑफ वेल्सपन कॉर्पोरेशन लिमिटेड और अंबी माइनिंग कंपनी प्राइवेट लिमिटेड की योग्यता को लेकर राय नहीं दे पाई.

इसके बाद एनसीएल ने सुप्रीम कोर्ट के वकील और योजना आयोग के उपाध्यक्ष सुनील कुमार के बेटे अपूर्व कुरुप से राय मांगी कि कंसोर्टियम ऑफ वेल्सपन कॉर्पोरेशन लिमिटेड टेंडर के लिए अहर्ताएं पूरी करती है या नहीं. जबकि अंबे माइनिंग के पूर्व के काम के बारे में ईसीएल (इस्टर्न कोल फील्ड लिमिटेड) से जानकारी मांगी.हांलाकि ये रिपोर् क्या थी. इसका खुलासा होना बाकी है.

बोर्ड स्तर की उप समिति ने चार कंपनियों अडानी इंटरप्राइजेज, त्रिवेदी अर्थमूवर्स प्राइवेट लिमिटेड और कंसोर्टियम ऑफ वेल्सन कार्पोरेशन और अंबे माइनिंग प्राइवेट लिमिटेड को बेस प्राइज़ की बोली के लिए शामिल किया. जबकि इंडोनेशिया की पीटी धर्मा हैन्वा टीबीके और दुबई की कंसोर्टियम ऑफ गोमेज़ जनरल ट्रेडिंग को इस प्रक्रिया से बाहर कर दिया गया.

रिवर्स बीडिंग के लिए तीन शार्टलिस्टेड कंपनियों में सबसे कम बेस प्राइज़  वेल्सपन की थी. जिसने 976 का रेट डाला. जबकि अडानी की दर 1024 रुपये और त्रिवेणी की दर 1050 रुपये प्रति टन थी. अगले दिन 28 जून 2018 को हुए रिवर्स बीडिंग में अडानी ने सबसे कम बोली 789 रुपये प्रति टन लगाई.

इस तरह अडानी को रिवर्स बीडिंग में एमडीओ का टेंडर मिल गया. अडानी ने इस काम के लिए अपनी कंपनी में स्पेशल पर्पज व्हीकल एसपीवी बैलाडीला आयरन ओर माइनिंग प्राइवेट लिमिटेड बनाया. इसके बाद एनसीएल ने 100 करोड़ और 39.45 करोड़ की बैंक गारंटी अडानी से मांगी. जिस पर अडानी ने सूचित किया कि अब एसपीवी बैलाडीला आयरन ओर माइनिंग प्राइवेट लिमिटेड 13 नंबर ब्लॉक के लिए एमडीओ के रुप में काम करेगी. इसके बाद अडानी इंटप्राइजेस ने कुल 139.45 करोड़ की यस बैंक की गारंटी दी.

इस प्रक्रिया में नया ट्विस्ट तब आया जब अडानी इंटरप्राइजेस ने एनसीएल को चिट्ठी लिखकर कहा कि एएसएसए बैलाडीला आयरन ओर माइनिंग प्राइवेट लिमिटेड की जगह अडानी इंटरप्राइजेस होगा. इसके बाद अडानी ने बैंक गारंटी में सुधार करके एमडीओ हासिल करने की प्रक्रिया की. ये पूरी प्रक्रिया उस नवंबर महीने में चल रही थी. जब राज्य में विधानसभा के चुनाव हो रहे थे. इसके बाद हैदराबाद में 6 दिसंबर 2018 को एनएमडीसीृ-सीएमडीसी और अडानी के बीच बैलाडीला को लेकर करार हो गया.