जितेंद्र सिन्हा, राजिम. छत्तीसगढ़ का प्रयागराज और त्रिवेणी संगम राजिम की पहचान पहले से ही आस्था ,धर्म और संस्कृति नगरी के रूप में स्थापित हैं. राजिम नगरी की धार्मिक, पौराणिक और ऐतिहासिक मान्यता है. अब छत्तीसगढ़ शासन ने इसे और भी विकसित करने का निर्णय लिया है. शासन द्वारा राज्य के जिन स्थलों से राम वन गमन किये थे. उन्हें चिन्हांकित किया गया है. इनमें गरियाबंद जिले के प्रमुख तीर्थस्थल राजिम भी शामिल है. राम वन गमन के दौरान श्री राम, सीता और भाई लक्ष्मण के साथ लोमश ऋषि आश्रम में ठहरे थे. साथ ही पंचकोशी धाम के स्थलों से भी वे गुजरे थे. अब राज्य सरकार इन स्थलों को राम वन गमन पर्यटक परिपथ के रूप में विकसित करने जा रही हैं.

शुक्रवार को छत्तीसगढ़ शासन के मुख्य सचिव आर पी मंडल की अगुवाई में राज्य के मुख्य वन संरक्षक राकेश चतुर्वेदी तथा पर्यटन सचिव पी अलबलगन द्वारा राजिम का दौरा किया गया. भ्रमण के दौरान उन्होंने भगवान राजीव लोचन में पूजा अर्चना कर प्रदेश के खुशहाली और समृद्धि के लिए कामना किया. इस दौरान अधिकारियों ने राजिम में उन स्थलों को चिन्हित करते हुए जिले के आला अधिकारियों कलेक्टर श्याम धावडे, एसपी एम आर आहिरे, जिला पंचायत सीईओ विनय लंगेह एवं वनमण्डलाधिकारी मयंक अग्रवाल के साथ विस्तार से चर्चा की. इस दौरान कुलेश्वर मंदिर और राजीव लोचन मंदिर तथा लोमस ऋषि आश्रम को सौंदर्यकरण करने तथा वहां जरूरी सुविधाएं विकसित करने चर्चा की गई.

चर्चा के दौरान 25 किलोमीटर परिधि के अंतर्गत पंचकोशी धाम यात्रा के प्रमुख स्थलों में मार्गो में संकेतांक और मूलभूत सुविधाएं जैसे पेयजल, यात्री प्रतीक्षालय, पर्यटन सुविधा केंद्र स्थापित करने पर भी चर्चा की गई. मुख्य सचिव मंडल ने पर्यटन विभाग को 10 दिवस के भीतर इस पर विस्तृत कार्य योजना बनाकर प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं. वही पूरे कार्य के समन्वय के लिए वन संरक्षक एसएसडी बढ़गैया को नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है.

राजिम नगरी को पुरातत्व और ऐतिहासिक पहचान देने के लिए शहर के चारो ओर प्रवेश द्वार तथा साज सज्जा के लिए भी विमर्श किया गया. इस दौरान बैशाखू राम साहू, विकास तिवारी, अनुविभागीय अधिकारी जीडी वाहिले, तहसीलदार ओपी वर्मा एवं अन्य विभागीय अधिकारी मौजूद थे.