रूपेश गुप्ता। 7 दिसम्बर 2019 को हिंदुस्तान टाइम्स के लीडरशिप समिट में पंजाब के मुख्यमंत्री कैपटन अमरिंदर सिंह और छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से जब पार्टी के भविष्य के नेता को लेकर सवाल पूछा गया था तो कैप्टन ने कहा – ”ये तय करने का हक़ वर्किंग कमिटी को है।” लेकिन जब यही सवाल भूपेश बघेल से पूछा गया तो उन्होंने पुरजोर तरीके से राहुल गांधी का नाम लिया। भूपेश बघेल ने राहुल को न सिर्फ काँग्रेस का बल्कि देश का भविष्य का नेता भी बताया। उन्होंने कहा कि इसकी वजह है कि राहुल गांधी में हार की ज़िम्मेदारी लेकर पद छोड़ने का नैतिक साहस है। राहुल के पास अपनी बात सीधे और सपाट तरीके से रखने का साहस है। जो विश्वास भूपेश ने राहुल गांधी के प्रति 3 महीने पहले व्यक्त किया था , वो विश्वास गांधी परिवार के लिए फिर राज्यसभा सीट को लेकर व्यक्त किया है।
काँग्रेस ने छत्तीसगढ़ से केटीएस तुलसी और महिला कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष फूलोदेवी नेताम को राज्यसभा भेजने का फैसला किया है। ये दोनों नाम आलाकमान ने तय किये हैं।
सूत्रों के मुताबिक आलाकमान को दोनों नाम तय करने के लिए भूपेश बघेल ने खुद कहा। उन्होंने अपनी ओर से कोई नाम नहीं दिए।कांग्रेस की कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने जब भूपेश से राज्यसभा की सीटों पर बात की तो भूपेश बघेल ने कहा कि जो नाम अलकमान तय करे, उन्हें वो मंज़ूर है। सूत्रों के मुताबिक ये बात भूपेश ने सोनिया को बैठक में बार -बार कही और गांधी परिवार के प्रति छत्तीसगढ़ काँग्रेस का भरोसा जाहिर किया।
भूपेश बघेल ने एक बार फिर से गांधी परिवार का विश्वास जीता है। ये विश्वास उस समय बेहद महत्वपूर्ण है जब गांधी परिवार के सबसे करीबी रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पार्टी छोड़ दी। ज्योतिरादित्य सिंधिया एकमात्र शख्स थे जो राहुल गांधी से मिलने उनके घर कभी भी जा सकते थे। ज़ाहिर है इससे एक अविश्वास का माहौल काँग्रेस के भीतर व्याप्त हुआ है। गांधी परिवार के नेतृत्व को लेकर सवाल चर्चाओं में हैं। ऐसे माहौल में भूपेश बघेल ने आलाकमान के फैसले के साथ खड़े रहने का भरोसा कायम रखते हुए राजनीतिक विनम्रता का भी परिचय दिया है।
भूपेश बघेल उस राज्य के मुख्यमंत्री हैं जहां कांग्रेस तीन चौथाई बहुमत के साथ सबसे मजबूत है। अगर भूपेश कोई नाम देते तो उनकी बात मानी जाती। लेकिन उन्होंने गांधी परिवार पर भरोसा जताने और उन्हें पार्टी के भीतर और मज़बूत करने का विकल्प चुना।
आलाकमान पर भूपेश ने फैसला उस वक़्त छोड़ा। जिस वक्त उनके सबसे करीबी गिरीश देवांगन के राज्यसभा में जाने की चर्चा थी। राज्य में साहू समाज अपने लिए राज्यसभा की एक सीट मांग रहा था।
आलाकमान आदिवासी महिला और देश के नामचीन कानूनविद केटीएस तुलसी को छत्तीसगढ़ से राज्यसभा लाना चाहती थीं। जिससे संसद में राज्य के आदिवासियों के मुद्दे ज़ोरदार ढंग से आ सकें।