सुप्रिया पांडे,रायपुर। आज हम आपको भारत के एक ऐसे रेलवे स्टेशन के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां टिकट की खिड़की महाराष्ट्र में है, तो स्टेशन मास्टर गुजरात में बैठते है. इस बेंच में बैठने वालों को ये ध्यान में रखना होता है कि वे कहां और किस राज्य में बैठे है. स्टेशन का आधा हिस्सा महाराष्ट्र तो वही आधा हिस्सा गुजरात में पड़ता है.

इस स्टेशन का नाम नवापुर रेलवे स्टेशन है. जहां चार अलग-अलग भाषाओं पर हिंदी, अंग्रेजी, गुजराती और मराठी में अनाउंसमेंट भी किया जाता है. साथ ही सूचना भी चार अलग-अलग भाषाओं में की जाती है. इस स्टेशन में सबसे अलग बात ये है कि गुजरात में शराब की बिक्री पर रोक लगी है, तो वही महाराष्ट्र में पान मसाला और गुटखा पर रोक लगाई गई है. गुजरात वाले भाग में यदि गुटखे की बिक्री की जाती है तो वह अपराध नहीं है, लेकिन गुटखा बेचने वाला व्यक्ति अगर गुटखा बेचते-बेचते महाराष्ट्र वाले भाग चला जाता है तो वह आरोपी माना जाता है.

उसी प्रकार यदि शराब की बिक्री महाराष्ट्र की सीमा पर की जाती है, तो कोई बात नहीं लेकिन अगर गलती से भी गुजरात वाले भाग में कोई शराब या बियर की बिक्री करते हुए मिलता है, वो व्यक्ति भी आरोपी माना जाता है. कई बार तो ऐसा भी होता है कि एक राज्य के आरोपी दूसरे राज्य में पहुंच जाते है, तो यहां कई बार पुलिस को आरोपियों को ढूंढ़ने में परेशानी का सामना भी करना पड़ता है.

बता दें कि जब ये स्टेशन बना था उस समय महाराष्ट्र और गुजरात का बंटवारा नहीं हुआ था और ये स्टेशन मुंबई प्रांत में पड़ता था. मई 1961 में मुंबई प्रांत का बंटवारा हुआ उस समय दो राज्यों महाराष्ट्र और गुजरात में बंट गया और स्टेशन दोनो राज्यों के बीच आ गया उसी समय से इसकी एक अलग पहचान है.

नवापुर स्टेशन की लंबाई की अगर हम बात करें तो इसकी कुल लंबाई 800 मीटर है जिसके 300 का हिस्सा महाराष्ट्र में है तो वही 500 मीटर का हिस्सा गुजरात में है यदि स्टेशन पर कोई रेलगाड़ी आती है तो उसका ट्रेन अगर महाराष्ट्र से आ रही है तो उसका इंजन गुजरात में होता है और यदि गुजरात से ट्रेन आ रही है तो उसका इंजन महाराष्ट्र में होता है.