सत्यपाल सिंह राजपूत, रायपुर। कोरोना लॉकडाउन के दौरान उपचार के लिए अस्पताल पहुंचे मरीज और उनके परिजनों के लिए घर वापसी एक बड़ी समस्या बन गई है. अस्पताल प्रबंधन ने दूर स्थानों से आने वाले मरीजों की घर वापसी की कोई व्यवस्था नहीं की है. ऐसे में निजी एंबुलेंस वालों की चांदी हो गई है, जो तीन गुणा ज्यादा किराया वसूल रहे हैं.
दूसरे जिलों से रेफर होकर मेकाहारा पहुंचे मरीज अपने परिजनों के साथ घर जाने के लिए घंटों गाड़ी की व्यवस्था में लगे रहे. गाड़ी की कोई व्यवस्था नहीं हुई तो उन्होंने निजी एंबुलेंस वालों की ओर रुख किया, लेकिन उनका किराया सुनकर वे चुपचाप लौट गए.
ऐसे ही एक मरीज के परिजन ने बताया कि रायपुर से उनका गांव 38 किमी दूर है. वो कई घंटों से घर जाने के लिए कोशिश कर रहा हूं, लेकिन कहीं से मदद नहीं मिल रही है. लोगों ने बताया कि प्राइवेट एंबुलेंस आपको घर तक छोड़ देगी, लेकिन जब उनसे संपर्क किया तो किसी ने 3 हजार तो किसी ने पैतीस सौ किराया बताया. अब हम गरीब आदमी इतना पैसा कहां से लाएं.
इसी तरह घर जाने के इंतज़ार में खड़े मरीज के परिजन ने बताया कि वह पन्थी कलाकार है. भतीजे का फिसलने से हाथ टूट गया है, जिसके उपचार के लिए उसके साथ चार लोग एम्बुलेंस से पहुंचे थे, लेकिन अब वापसी में समस्या आ रही है. उन्होंने बताया कि अस्पताल में खाने-पीने की व्यवस्था ठीक नहीं है, और बाहर भी कुछ नहीं मिल रहा है. ऐसे में क्या करें.
इस संबंध में हॉस्पिटल प्रबंधन का कहना है कि शासन की ओर से मरीजों को घर तक छोड़ने का कोई आदेश नहीं है. लेकिन कई लोग मानवता की वजह से छोड़ रहे हैं. वही एम्बुलेंस वालों का कहना है कि यदि मरीजों को हम घर वापस छोड़ने लग जाएं तो मरीजों को अस्पताल में लाने के लिए एम्बुलेंस की कमी हो जाएगी.