महासमुंद: जहां, एक ओर हाल ही में बाईपास सर्जरी करा कर काम पर वापस लौटे मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ एसपी वारे पूर्णतः स्वस्थ न हो पाने के कारण कार्यालय से ही सुपर विजन बनाए हुए हैं। वहीं, उनके सबसे करीबी सहयोगी अधिकारी के रूप में सिविल सर्जन सह मुख्य अस्पताल अधीक्षक डॉ आरके परदल कमान अपने हाथ में लेकर सभी अनिवार्य सेवाओं की बागडोर सम्हालते नजर आ रहे हैं।
गौरतलब हो कि इन दिनों जब समूचे विश्व सहित प्रदेश में भी कोविड 19 की बीमारी हाहाकर मचा रही है, जिले में अब तक इस बीमारी से संबंधित एक भी पुष्टिकृत प्रकरण का पटाक्षेप नहीं हुआ है। जिसके पीछे डॉ परदल के नेतृत्व में पहले से लागू उचित स्वास्थ्य प्रबंधन नीतियों सहित निर्धारित मापदंडों में क्रियान्वयन उपलब्धताओं की पूर्ति एवं जागरूकता प्रयासों को सराहनीय बताया जा रहा है। उनके मार्गदर्शन में जिला क्वारंटीन केंद्र और नियंत्रणकर्ता कंट्रोल रूम चौबीसों घंटे संचालित हैं। साथ ही समय रहते ही सभी संबंधित स्वास्थ्यकर्मियों को प्रशिक्षित कर संकट समाधान एवं निगरानी के लिए जमीनी स्तर पर भी काम लिया जा रहा है। कोरोना वायरस संक्रमण को लेकर आंकड़े बताते हैं कि जिले में इसके फैलाव को रोकने के लिए उठाए गए अहतियाती कदमों में अब तक तकरीबन तीन सौ संदिग्ध मरीजों को होम क्वारंटीन किया जा चुका है, और जांच के लिए राजधानी भेजे गए कुल तीस प्रकरणों की रिपोर्ट भी ऋणात्मक प्राप्त ही हुई है। ऐसे में राजधानी रायपुर की सीमा से सटे होने के बाद भी महासमुंद कोरोना वायरस के संक्रमण को लेकर सुरक्षित जिलों में स्थान बनाए रखने में सफल दिखाई दे रहा है।
बता दें कि अनुशासन प्रिय और मृदुल स्वभाव के धनी डॉ परदल ने चिकित्सा सेवा क्षेत्र में आने के लिए एमबीबीएस, एमडी (पीडियाट्रिक्स) सहित डीसीएच की उपाधियां धारण की, जिसके बाद उन्होंने शिशु रोग विशेषज्ञ और जिला टीकाकरण अधिकारी जैसे महत्वपूर्ण पदों का भार उठाते हुए वर्ष 2010 में बतौर सिविल सर्जन सह अस्पताल अधीक्षक जिम्मेदार पद सम्हाला। वे एकलौते ऐसे सिविल सर्जन हैं जो प्रबंधकीय कार्य के साथ-साथ अतिरिक्त सेवाभावी योगदान के रूप में आज भी कार्यालयीन कक्ष में देर शाम तक ओपीडी लगा कर बीमार बच्चों का उपचार करते देखे जा सकते हैं। उपलब्धियां बताती हैं कि उनके आते ही जिला चिकित्सालय में बहुतेरे आमूल-चूल परिवर्तन हुए जिन्होंने चिकित्सालय को प्रदेश स्तर पर पहचान दिलाई। जिसमें पोषण पुर्नवास केंद की सेवाओं के लिए जिले के निरंतर अव्वल आने से लेकर हाल ही में शुरू किए गए निशुल्क डायलीसिस सेंटर तक की सेवाएं आदि प्रमुख हैं। डॉ वारे ने बताया कि डॉ परदल उन अनुभवी अधिकारियों में से एक हैं जिनके तकरीबन पच्चीस वर्षों से भी अधिक के करियर में अब तक न कोई शिकायत हुई और न ही किसी ने उनकी कार्य प्रणाली पर प्रश्न चिन्ह लगाया। विषम परिस्थितियों में उनके बेहतरीन प्रदर्शन का हुनर इन दिनों सबसे अधिक काम में आ रहा है।