पंकज सिंह भदौरिया,दंतेवाड़ा। कोरोना लॉकडाउन की वजह से आंध्रप्रदेश में फंसे 33 मजदूरों ने पैदल ही जंगल के रास्ते छत्तीसगढ़ के धुर नक्सल प्रभावित इलाका दंतेवाड़ा पहुंच गए हैं. इन मजदूरों ने दूसरे राज्य से आने की जानकारी नहीं छुपाते हुए ग्रामीणों और स्वास्थ्य विभाग को इसकी सूचना दी. जिससे इनका चेकअप हो सके. ऐसा कर इन मजदूरों ने मानवता का परिचय दिया है, तो ताली बजाकर इनका स्वागत किया गया. यही वजह है कि इन मजदूर ग्रामीणों की तारीफ हो रही है. वो भी ऐसे समय में जब कुछ लोग विदेश और मरकज से आने की जानकारी छुपा रहे हैं.

पूरा मामला दंतेवाड़ा जिले के ककाड़ी चूलापारा गांव का है. यहां के 33 ग्रामीण आंध्रप्रदेश के नंदीगांव में मजदूरी करने गए थे. लेकिन देश में लॉकडाउन लगते ही सभी मजदूर नंदीगांव में ही फंस गए. कुछ दिन बाद ठेकेदार ने राशन और भोजन की व्यवस्था करने से हाथ खड़ा कर दिया. प्रशासन ने ठेकेदारों को मजदूरों की देखभाल का जिम्मा दिया था. लेकिन ठेकेदार के असमर्थता जताने पर मजदूर गांव ही लौटना मुनासिब समझे.

आंध्र प्रदेश से चिंतलनार जगरगुंडा के जंगल होते हुए मजदूरों ने पैदल चलकर अपने गांव की दूरी अपने कदमों से ही जंगलों के रास्ते नाप लिया. जब ये अपने गांव पहुंचे, तो सीमा पर ही जंगल सभी मजदूर रुक गए. इसकी सूचना उन्होंने ग्रामीणों और मेडिकल टीम को दी. कुआकोंडा ब्लॉक में बनी अंजनि मितानिन प्रशिक्षक और डॉक्टर अतीक अंसारी टीम ने सुबह ककाड़ी चूलापारा गांव की सीमा पर पहुँचकर सभी ग्रामीणों की स्क्रीनिग टेस्ट कर उन्हें 28 दिनों के लिए होम क्वारनटाइन पर रखा है.

डॉक्टर अतीक अंसारी ने बताया कि ये सभी ग्रामीण मिर्ची तोड़ने के काम से आंध्रप्रदेश गए थे. जैसे ही लॉक डाउन हुआ काम बंद हो गया. इनके ठेकेदार ने भोजन व्यवस्था करने से मना कर दिया. इस कारण ये पैदल 250 किलोमीटर चलकर गांव पहुंच आए. पैदल लौटे सभी ग्रामीण ने कंधे पर मिर्ची के भरे बोरे लादकर भी आए है. सभी की जांच कर क्वारनटाइन कर दिया गया है.

ग्रामीणों ने गांव की शरहद पर पहुँचकर अपनी स्वयं की जांच कराकर मानवता और जागरूकता का परिचय दिया है. क्योंकि जिस प्रदेश से ग्रामीण थक हारकर पैदल चलकर गांव पहुँचे थे. वह आंध्रप्रदेश कोरोना संक्रमण से जूझ रहा है. ऐसी जागरूकता अभियान से निश्चित ही कोरोना हारेगा.