छत्तीसगढ़ म कई झिन राज्यपाल के काम-कारज ल देखव. फेर सुरता सबके काम-कारज के नइहे. हाँ एक सुरता शेखर दत्त के निरमल सुभाव ल लेके जरूर हे. वइसे भी शेखर दत्त बर पं. श्यामलाल चतुर्वेदी जी कहय कि उन इही छत्तीसगढ़ म बस जतिस. सिरतोन म शेखर दत्त छत्तीसगढ़िया सुभाव के राज्यपाल रहिन. आज छत्तीसगढ़ म अइसने एक अउ राज्यपाल काम-काज करत हे. नाव हे अनुसुईया उइके. मूलनिवासी कतका निरमल सुभाव के हो सकत हे वो राज्यपाल अनुसुईया उइके के सुभाव म दिखत हे.

छत्तीसगढ़ राज म मोर बर सिरतोन म ये पहली अनुभव हरय जब कोनो राज्यपाल ल राज के हित म, छत्तीसगढ़िया मन के हित म, मूलनिवासी मन के हित म अतका सजग देखत हव. राजभवन म जेन भी मिले बर आत हे, राज्यपाल ले मिलके ही जात हे. अपन समस्या बतात, बने मन भर गोठियात, दुःख-पीरा ल सुनात हे. राज्यपाल घलोक उँखर करा अवइया मन ल पूरा सम्मान देत हे, उँखर संग बइठ के, उँखर हर बात ल गुनत हे. सितोन म अइसन पहली बार मँय देखव कि कोनो राज्यपाल महिला पत्रकार मन बुलाके उँखर संग चरचा करिन, उँखर ले राज हित म गोठ-बात करिन, इहूँ पहली बार देखेव कि राज हित म उन छत्तीसगढ़ के दौरा करत हे. कभू बस्तर, कभू सरगुजा, कभू दंतेवाड़ा, कभू सुपेबेड़ा…

महतारी भाँखा म पढ़ई-लिखई के बात घलोक करत हे, उन इहू पीरा ल समझत हे कि छत्तीसगढ़ के मूलनिवासी मन ल उँखर हक-अधिकार से वंचित रखे गे हे, पाँचवीं अनुसूची के पालन बरोबर नइ होय हे, जल-जंगल-जमीन ले उन ले निकाले गे हे. उन इहू देखे म लगे हे के कि मूलनिवासी मन के बिकास, कहाँ-कतका अउ कइसे होय हे. इही चिंता उन ल सुपेबेड़ा तक खींच के ले गे. कोनो राज्यपाल ल मूलनिवासी मन बर अतका चिंता करत घलोक पहली घव देखेव हव.

सिरतोन म जेन भाव, मया, दया, करुना ल लेके मूलनिवासी मन के बीच राज्यपाल गइन. वोला देखे तो अइस लगत हे, जइसे छत्तीसगढ़ महतारी अपन लइका मन के, मूलनिवासी मन के सुध लेवत हे. सिरतोन म अइनस संवेदनशील, मयारुक, काम-काज करइया राज्यापल पहली घव देखत हव, ये हमर धन भाग आय कि हम छत्तीसगढ़ म अइसन राज्यपाल पाय हन. उम्मीद करत हन राज्यपाल के परयास ले मूलनिवासी मन के, छत्तीसगढ़िया जय होय होही, विजय होही, छत्तीसगढ़ महतारी जस-सम्मान बढ़ही, नवा छत्तीसगढ़ गढ़हीं.