नई दिल्ली। भला हो कोरोना वायरस का, जिसकी वजह से चीन में कुत्तों के अच्छे दिन आ गए. चीनी सरकार ने कुत्तों की श्रेणी में बदलाव करते हुए पशुधन से पालतू की श्रेणी में डाल दिया है. इसका बड़ा असर यह होगा कि चीन में कुत्ते को खाने पर कुछ हद तक लगाम कसा जाएगा.

चीन की कृषि एवं ग्रामीण मामलों के मंत्रालय ने कुत्तों को ‘सहयोगी जानवर’ के तौर पर स्वीकार किया है, जिसे पशुधन के तौर पर पाला-पोसा नहीं जा सकता है. इसका असर यह होगा कि हर साल चीन में खाने के नाम पर होने वाली एक करोड़ (दस मिलियन) कुत्तों की हत्या में काफी कमी आएगी. मूक पशुओं की रक्षा के लिए काम करने वाले लोग इस बदलाव को चीन के लिए ‘गेम चेंजर’ मान रहे हैं.

यूलिन डॉग मीट फेस्टिवल के बारे में सुना है

जानकारों के अनुसार, चीन के जांग्सी प्रांत (Guangxi Province) में कुत्तों को खाने का पुराना इतिहास है. इसी प्रांत में 2009 में यूलिन डॉग मीट फेस्टिवल के नाम से नया रूप मिला, जहां कुत्तों की तमान नस्लों को खाने के तौर पर लोगों को परोसा जाता था. पशु प्रेमियों और मीडिया की निंदा के बाद इस आयोजन को बंद कर दिया गया, लेकिन कुत्तों के मास को प्रोसेस्ड तरीके से परोसने और खाने का चलन जारी है.

चीन से वन्यजीव बाजार पर रोक लगाने की मांग

उधर अमेरिका में कोरोना संक्रमण से हो रही मौतों को देखते हुए अमरीकी सीनेटरों ने चीनी राजदूत को पत्र लिखकर चीन में चल रहे तमाम वन्य जीव बाजार को तत्काल प्रभाव से बंद करने की मांग की है, क्योंकि इससे मानवों में कोरोना की तरह दूसरे खतरनाक जूनोटिक डिजिज (zoonotic disease) फैलने का बड़ा खतरा है. पत्र लिखने वाले 11 अमेरिकी सीनेटरों में रिपब्लिक मेट रोमनी, लिंड्से ग्राहम और डेमोक्रेटिक क्रिस कोन्स शामिल हैं.