वैभव बेमतरिहा, रायपुर। यूं तो एक दूसरे के खिलाफ खूब ज़हर उगलते हैं. सियासत में पार्टियों के बीच आरोपों के दौर चलते हैं. कभी घर के अंदर से कभी घर के बाहर से. बिना चूके सियासी तीर चलते हैं. लेकिन इसी सियासत में एक सियासत और दिखती है. ऐसा कभी-कभी होता जब सियासी नेताओं की ऐसी तस्वीर दिखती है.
कहते हैं ना तस्वीर बोलती है. ये तस्वीर भी बोल रही है. बहुत कुछ बोल रही है. शायद सियासत के पीछे का राज खोल रही है. सार्वजनिक जीवन जीने वालों का भी व्यक्तिगत जीवन होता है, अगर ये दोनों जी रहे हैं तो इसमें भला चौंकना क्या, सवाल क्या. नहीं-नहीं सवाल तो है, ना होकर भी है. ये और बात कि कोई पूछे ना. लेकिन जो देखेगा वो पूछेगा.
जी हां भई ये जोगी और बीजेपी की कौन सी लीला है. सियासत में इस तरह से भला कौन-कौन मिला है. वैसे तस्वीर तो रास गरबा की है. एक सत्ता में हैं, दूसरा विपक्ष में है. सियासी तौर पर दोनों पार्टी की ओर से दंगल होता, नेता आपसे में कुश्ती करते हैं. लेकिन यहां तो नेता जी नाच रहे हैं, डांडिया कर रहे हैं, मस्ती करते हैं.
अब नेता जी कहेंगे मस्ती कर लिए तो क्या हुआ, दो विरोधी दल के नेता डांडिया खेल लिए तो क्या, ये तो उनका अपना निजी जीवन है. बेशक निजी जीवन है इसमें किसी को कुछ कहना नहीं. लेकिन निजी जीवन के दोनों व्यक्ति सार्वजनिक जीवन के जन नेता भी है. हमने लिखते-लिखते कितना कुछ लिख दिया , लेकिन इन नेताओं के नाम ही नहीं लिखें.
चलिए अब लिख देते हैं. वैसे तो पहचान ही गए होंगे. फिर भी पहचान और करा देते हैं. एक नेता जी अमित जोगी हैं. कांग्रेस की टिकट से मारवाही सीट से विधायक बने, लेकिन अब कांग्रेस से अलग होकर अपने पिता जी की नई पार्टी जनता कांग्रेस के संस्थापक सदस्य हैं. दूसरे नेता जी हैं भाजपा विधायक राजू क्षत्रिय है. बड़ी मुस्किल से तखतपुर सीट से दूसरी बार जीतकर विधायक बने. दोनो नेता बिलासपुर में जब मिले तो रास गरबा के मैदान पर मिले.
मुलाकात दोनों की बहुत अच्छी रही. और इस तरह की मुलाकात दोनों सियासी दल के नेताओं की वैसे होती रहनी चाहिए. व्यक्तिगत तौर पर तो नहीं पता, लेकिन राजनीतिक सेहत के दृष्टिकोण से ये मुलाकात अच्छी रहती होगी, ऐसा नहीं कहा जा सकता, क्योंकि कब यही नेता एक-दूसरे के खिलाफ सियासी तौर पर ज़हर उगलने लग जाए क्या पता. रास गरबा में नाच रहें और कल कुछ राजनीतिक घटनाक्रम हुआ तो एक-दूसरे के खिलाफ हो जाएंगे.
खैर इस बेतुकी चर्चा से बाहर आना चाहिए और मुद्दे पर ध्यान केन्द्रित कर लेना चाहिए. मसला ये है कि जोगी कांग्रेस और बीजेपी के नेताओं के बीच रास गरबा का ये रंग राजनीति रंग को कितना प्रभावित कर सकता है. विधानसभा चुनाव में दोनों दल एक-दूसरे के खिलाफ आमने-सामने होंगे तो डांडिया का ये दृश्य क्या दोनों को प्रभावित करेंगे और इसका असर क्या दोनों पार्टी में हो सकता है. जाहिर है निगाहें उस विपक्ष की भी रहेगी या चुनाव में वो इसका इस्तेमाल भी कर सकती है जिस विपक्ष में आज विपक्ष का होकर भी अमित जोगी विपक्षी सदस्य नहीं हैं.
तो फिलहाल तस्वीर का सब आनंद लीजिए और इंतजार करिए तस्वीर के बाद आने वाली प्रतिक्रियाओं का, होने वाले राजनीतिक असर का, उस परिणाम का जो अभी इस दृश्य के भीतर अदृश्य है.