पुरषोत्तम पात्र, गरियाबन्द। काम व पैसे के अभाव 12 सदस्यीय परिवार का गुजारा हुआ मुश्किल. कर्जदार समूह की सदस्य होने के कारण परिवार की मुखिया के खाते में रखे रुपए भी बैंक ने देने से मना कर दिया है. हालत यह है कि परिवार की कमजोरी के कारण शिशुवती मां अपने बच्चे को दूध नहीं पिला पा रही है.


बात हो रही है देवभोग ब्लॉक के डोहेल ग्राम में रहने वाली पादुका बाई हरपाल के परिवार की, जिसके समक्ष लॉकडॉउन के चलते गुजर-बसर की समस्या आन खड़ी हो गई है. पादुका ने बताया कि 12 सदस्यीय परिवार में 5 छोटे बच्चे हैं, सरकारी चावल प्रतिमाह 35 किलो के हिसाब से मिलता है. सो माह का चावल तो है, परिवार इसी चावल और नमक के सहारे जीवन चला रहा है.
पादुका बताती है कि पिछले 10-12 दिनों से ग्रामीण बैंक के जन धन खाते में जमा रुपयों को निकालने बैंक का कई चक्कर लगाया, लेकिन उसे कर्जदार बता कर बैंक उसे रुपए नहीं दे रही है. पैसों के अभाव में परिवार भोजन व इलाज के लिए जरूरी चीजों की खरीदारी नहीं कर पा रहा है.

मामले में जनपद सीईओ एमएल मंडावी ने कहा कि सचिव को भेजा जा रहा है, आवश्यकता की हर चीजें उपलब्ध कराई जाएगी. पंचायत के किन-किन योजना में पात्रता रखते हैं इसके परीक्षण के बाद तत्काल उंन्हे लाभ दिया जाएगा. वहीं बैंक को रुपये देने कहा जा रहा है.

ग्रामीण बैंक के मैनेजर गवेश चन्द्राकर ने बताया कि गांव की लक्ष्मी महिला समूह द्वारा ढाई लाख से ज्यादा का लोन लिया गया था, जिसका 1 लाख 60 हजार का बकाया समूह के ऊपर है. तहसीलदार के समक्ष वसूली प्रकरण भी दर्ज कराया गया है.
बैंक मैनेजर ने बताया कि अनुबन्ध के मुताबिक समूह के प्रत्येक महिला की जिम्मेदारी भरपाई की है, पादुका बाई समेत सभी जुड़ी सदस्यों के खाते होल्ड किया गया है. पादुका के खाते में 15 हजार रुपये है, फिर भी मैं उन्हें 2 हजार देने तैयार था, सीईओ से समस्या की जानकारी मिली है, परिस्थिति को देखते हुए हम 7 हजार देने को तैयार हैं.