रायपुर। राज्यसभा सांसद छाया वर्मा ने केन्द्रीय शिक्षा मंत्री को पत्र लिखकर CBSE द्वारा 7 अप्रैल को जारी आदेश में संशोधन करते हुए संस्कृत भाषा को कक्षा 9वीं और 10वीं में अनिवार्य बनाए जाने की मांग की है. उन्होंने कहा कि संस्कृत के कारण ही भारत कभी विश्व गुरू था.
सांसद छाया वर्मा ने कहा कि संस्कृत भाषा के संवर्द्धन, संरक्षण हेतु केंद्रीय विश्वविद्यालय विधेयक 2019 गत बजट सत्र में पास हुआ है, जिसमें दोनों सदनों के सांसदों ने अपने विचार रखे थे. कांग्रेस की ओर से मुझे इस विधेयक पर राज्यसभा में बोलने का अवसर मिला, लेकिन खेद का विषय है कि CBSE ने 7 अप्रैल को आदेश जारी कर संस्कृत भाषा को कक्षा नवमीं व दशमी से अघोषित रुप से बहिष्कृत कर दिया है.
उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार की दोहरी नीतियों का खामियाजा हर क्षेत्र में लोग सहने के लिए विवश हैं, जो इस आदेश से शिक्षा क्षेत्र में साफ परितक्षित हो रहा है. इस आदेश से पूर्व पाठ्यक्रम योजना में पाँच विषय अनिवार्य और एक विषय अतिरिक्त होता था. लेकिन CBSE द्वारा 7 अप्रैल को जारी आदेश के बाद हिन्दी और अंग्रेजी के अतिरिक्त संस्कृत को विषय के रुप में लेने के लिए कोई स्थान नहीं रह जाता है.
सांसद ने कहा कि यदि कोई छात्र तृतीय भाषा पढ़ना चाहता है, तो वह सातवें विषय के रुप में पढ़ सकता है, परन्तु जिसकी कोई परीक्षा और मूल्यांकन नहीं होगा. वहीं अंकपत्र में सातवें विषय का विवरण नहीं होगा. इस कारण कोई भी छात्र तृतीय भाषा (संस्कृत) को लेने का आग्रह ही नहीं करेगा.
उन्होंने कहा कि भारत की पहचान आन, बान, शान संस्कृत को अघोषित रुप से नवमीं व दशमी कक्षा के पाठ्यक्रम से बाहर कर दिया गया है. ये कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी कि भारत को जानना है तो संस्कृत को पढ़ना ही होगा. इसलिए भारत के प्रत्येक नागरिक को अपनी संस्कृति और देश को जानने के लिए संस्कृत पढ़ना नितान्त आवश्यक है.