रायपुर। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने कोरोना संकट के बहाने और फिजिकल डिस्टेंसिंग मेंटेन करने के नाम पर देश में घरेलू बाजार बंद रखकर ऑनलाइन कारोबार को बढ़ाने के सरकार के निर्णय का विरोध किया है. माकपा का कहना है कि इससे देश का घरेलू बाजार और तबाह होगा तथा लघु व्यवसायियों के साथ ही असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले करोड़ों मजदूर अनौपचारिक क्षेत्र की अर्थव्यवस्था से बाहर हो जाएंगे.
आज यहां जारी एक बयान में माकपा राज्य सचिव मंडल ने कहा है कि एक ओर तो अनियोजित लॉक डाउन के कारण हमारे देश के करोड़ों लोगों की आजीविका खतरे में पड़ गई है, लाखों लोगों को काम-धंधे-नौकरियों से निकाल दिया गया है. वहीं दूसरी ओर ई-कॉमर्स कंपनियों को ऑनलाइन व्यापार करने की छूट देने से और घरेलू बाजार पर प्रतिबंध जारी रखने से अर्थव्यवस्था और संकट में फंस जाएगी.
माकपा राज्य सचिव संजय पराते ने कहा है कि ई-कॉमर्स और ऑनलाइन कंपनियों को बढ़ावा देने की नीति का ही नतीजा है कि देश के रिटेल व्यापार में इनकी हिस्सेदारी तो केवल 1.6% है, लेकिन इसने देश के 40% रिटेल व्यापार को बर्बाद कर दिया है. पिछले एक साल में ही देश में इन नीतियों के कारण डेढ़ लाख दुकानें, जिनमें इलेक्ट्रॉनिक, कपड़ा, किताबें व खुदरा किराना की दुकानें शामिल हैं बंद हो चुकी हैं. वर्ष 2009 में 250 करोड़ डॉलर का व्यापार करने वाली ये कंपनियां आज देश में 12000 करोड़ डॉलर (लगभग 9 लाख करोड रुपये) का व्यापार कर रही हैं. उन्होंने कहा कि कर वंचना के मामले में भी ये कंपनियां कुख्यात हैं. छत्तीसगढ़ में भी ये ऑनलाइन कंपनियां वैट न पटाकर रोजाना 4-5 करोड़ रुपयों के करों की चोरी कर रही हैं.
कैट और अन्य व्यापारिक संगठनों के विरोध का समर्थन करते हुए माकपा नेता ने कहा है कि लॉक डाऊन और कोरोना संकट के कारण देश की अर्थव्यवस्था को जो नुकसान पहुंचा है, उससे उबरने के एक ही रास्ता है कि देश के घरेलू बाजार का संरक्षण किया जाए और कमजोर वर्ग के लोगों की आजीविका को पहुंचे नुकसान की भरपाई की जाए. इसकी जगह यदि विदेशी निवेश और कॉर्पोरेट कंपनियों को बढ़ावा मिलेगा दिया जाएगा, तो हमारे देश की अर्थव्यवस्था पूरी तरह से बैठ जाएगी.