रायपुर. भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता और पूर्व विधायक श्रीचंद सुंदरानी ने कोरोना वायरस संक्रमण के संकट काल में भी प्रदेश सरकार के आत्म प्रचार की लालसा के प्रदर्शन पर दुःख व्यक्त किया है. सुंदरानी ने कहा कि प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को अपने प्रचार की इतनी भूख है कि इसके लिए वे तमाम मर्यादाओं और व्यवस्थाओं को भी ताक पर रख देने में गुरेज नहीं कर रहे हैं.
भाजपा प्रदेश प्रवक्ता व पूर्व विधायक सुंदरानी ने कहा कि प्रदेश सरकार ने कोरोना संक्रमण के वैश्विक संकट के खिलाफ जारी जंग में धेले भर की सार्थक व सुविचारित पहल नहीं की है, पर झूठी वाहवाही बटोरने के कृत्यों से बाज नहीं आ रही है. प्रदेश की जनता मुख्यमंत्री बघेल और उनकी सरकार के मंत्रियों की उदासीनता और झूठ को अच्छी तरह देख व समझ रही है. सुंदरानी ने कहा कि जिस सरकार के मुख्यमंत्री और मंत्रियों ने आज तक कोरोना के इलाज में लगे एम्स में झांका नहीं है, कोरोना-वॉरियर्स के लिए जिस सरकार की संवेदनाओं का स्रोत सूखा नजर आ रहा है, प्रदेश की वह कांग्रेस सरकार अपने उसी अपराध बोध के बोझ से दबी हुई अब बात-बेबात केंद्र सरकार को कोसने और अपने झूठे प्रचार पर आमादा है. पहले राशन कार्ड और अब कोरोना लॉकडाउन से प्रभावितों को सहायता व राशन सामग्रियों के लिए मुख्यमंत्री की फोटो वाले झोले के इस्तेमाल से सरकार की इसी प्रचार-ललक की तस्दीक हो रही है.
भाजपा प्रदेश प्रवक्ता व पूर्व विधायक सुंदरानी ने कहा कि अपनी झूठी वाहवाही बटोरने की भूख के चलते प्रदेश के मुख्यमंत्री ने गैर-सरकारी स्वयंसेवी व सामाजिक संस्थाओं द्वारा लॉकडाउन प्रभावित जरूरतमंद परिवारों को सीधे सहायता व राशन सामग्री के वितरण पर रोक लगाने तक में गुरेज नहीं किया. ऐसा लगता है कि कोरोना संकट के मद्देनजर लोगों की सहायता में प्रदेश सरकार को अपना नाम कहीं नहीं दिख रहा था और इसलिए प्रदेश सरकार ने यह पाबंदी लगाई है. सुन्दरानी ने आशंका व्यक्त की कि सामाजिक संगठनों द्वारा जुटाई गई तमाम राशन व सहायता सामग्रियों को प्रदेश के मुख्यमंत्री बघेल के फोटो वाले झोले में भरकर वितरित करा कांग्रेस सरकार अपना प्रचार करने की कोशिश कर रही है.
सुंदरानी ने कहा कि प्रदेश सरकार कोरोना के खिलाफ जंग में कोई ठोस और ईमानदार काम करने में पूरी तरह फिसड्डी साबित हुई है. इन्हें जनता से लेकर जन-प्रतिनिधि सामाजिक-सांस्कृतिक-स्वयंसेवक संगठनों सभी से केवल पैसे और संसाधन चाहिए. बस इसी फिराक में लगी यह सरकार केवल यही चाहती है कि समाज और जनता के पैसों से अपना धुंधला होता चेहरा चमका सके.