रायपुर. देश के साथ साथ हमारा प्रदेश भी कोरोना वायरस महामारी के कारण लॉकडाऊन है, रोजी रोजगार सहित किसानों मजदूरों की अनेक समस्याएं खड़ी हो गई है. राज्यों को केंद्र से जो आर्थिक सहयोग की अपेक्षाएं थीं वह भी पूरी नहीं हुई हैं. छत्तीसगढ़ सरकार ने किसानों से समर्थन मूल्य पर धान खरीदा है एवं उसके ऊपर 685 रुपए राजीव गांधी न्याय योजना के तहत देने जा रही है. यह भी सच्चाई है कि दो पीढ़ियों के इतिहास में रबी मौसम में असमय बारिश और ओलावृष्टि से अधिकांश किसानों की फसलें बर्बाद हुईं हैं और सब्जी फल उगाने वाले किसान तबाह हो गए हैं. और जब बची खुची फसल बाजार में लाने का समय आया तो कोरोना वायरस कहर ने ग्राहक छीन लिए. कथित कृषि बीमा इस प्राकृतिक कहर से निपटने में पूरी तरह विफल रही है और केंद्र तथा राज्य सरकार से जिस राहत की उम्मीद थी वह भी पूरी नहीं हुई.

यह समय खरीफ फसल के तैयारी का है, यदि धान पर अतिरिक्त धनराशि इस समय दिया जाता है तो वह सभी किसानों के लिए बड़ी राहत होगी. हम जानते हैं कि आज के संकट की घड़ी में देश के किसानों की उपज ही समाज को जिंदा रखे हुए है, तमाम ऐशो आराम की चीजें बेमतलब है. छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल सरकार ने कृषि एवं ग्राम आधारित विकास को प्राथमिकता दिया है. जिसके बेहतर परिणाम आने से पहले ही यह महामारी का संकट आ खड़ा हुआ है. अतः हम किसानों की भी यह जिम्मेदारी बनती है कि ऐसे संकट के समय अपनी ओर से राज्य सरकार को सहयोग दें. हमारा प्रस्ताव था कि राजीव गांधी न्याय योजना से मिलने वाले धनराशि से किसान स्वेच्छा से प्रति क्विंटल 50 रुपए की राशि मुख्यमंत्री सहायता कोष में दें. यह अपील कृषक बिरादरी, खेती बचाओ देश बचाओ आंदोलन,छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन, जिला किसान संघ राजनांदगांव सहित तमाम किसान ने की है.