सत्यपाल सिंह राजपूत। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में फैले पीलिया संक्रमण के लिए कहीं नगर निगम के अधिकारी तो जिम्मेदार नहीं तो नहीं ? क्योंकि पानी को लेकर मेडिकल कॉलेज और पीएचई ओर से जो जाँच रिपोर्ट आई वो तो इसी ओर इशारा कर रहे हैं. रिपोर्ट के जो पानी जोन क्रमांक 8 के पानी टंकियों से जाँच के लिए गए गए थे वे कीड़े युक्त और बदबूदार मिले थे. मतबल तब पानी पीने योग्य नहीं थे, लेकिन जब उसमें सोडियम हाईपो क्लोराइट डाल कर देखा गया तो वह पानी पीने योग्य मिला. इस रिपोर्ट के साथ यह भी जानना आप लोगों के लिए जरूरी है कि अधिकारियों की यह जिम्मेदारी थी कि वे पानी टंकी में हर दिन सोडियम हाईपो क्लोराइट की गोली डलवाय. लेकिन जिस तरह से 6 पानी टंकियों के नमूने लिए गए थे उसमें मिले कड़े और बदबूदार पानी से यह साबित होता है कि सोडियम हाइपो क्लोराइट की गोलियाँ नहीं डाली जा रही थी ?
इस जाँच रिपोर्ट को अगर सही मानी जाए तो फिर अधिकारियों की लापरवाहियों का ही नतीजा है कि राजधानी रायपुर में इस साल फिर पीलिया ने अब तक एक की व्यक्ति की जान ले ली है ! वहीं 400 से अधिक लोगों को बीमार कर दिया है. यहाँ यह भी लोगों के लिए जानना जरूरी है कि मीडिया में लगातार पीलिया को लेकर मामला सामने आने के बाद ही निगम प्रशासन हरकत में आया है और अधिकारियों की नींद टूटी है. नहीं तो वे इस मामले को अभी बहुत ही सामान्य ढंग से ले रहे थे.
दरअसल मामला काफी बढ़ने के बाद 13 अप्रैल को को जोन-8 के तहत आने वाली 6 पानी टंकियों के पानी के नमूने की जाँच में उसमे ई-कोली बैकटीरिया मिलने की रिपोर्ट सामने आई थी. रिपोर्ट सामने के बाद आयुक्त सौरभ कुमार कुछ एक्शन में आए थे और उन्होंने तत्काल इस मामले में जोन -8 आयुक्त प्रवीण सिंह गहलोत को नोटिस जारी करते हुए 3 दिनों में सुधार करने के साथ प्रतिवेदन देने को कहा था.
वहीं महापौर भी लगातार मामले पर नज़र बनाए हुए थे. वे पल-पल की जानकारी आयुक्त सौरभ कुमार से ले रहे थे. महापौर ने निर्देश दिया था कि जोन -8 स्थित जरवाय, सरोना, कोटा, टाटीबंध, गोगांव की पानी टंकियों की जाँज की जाए. उसमें सोडियम हाईपो क्लोराइट की मिक्सिंग कर पानी में क्लोरीन की मात्रा बढ़ाई जाए. इसके बाद सभी 6 पानी टंकियों के पानी के नमूने को पी.एच.ई. और मेडिकल कॉलेज के लैब में जाँच के बाद पीने योग्य पाया गया. फिलहाल गोगाँव पानी टंकी की रिपोर्ट आनी बाकी है.
जाँच रिपोर्ट आने के बाद अब सवाल यही उठ रहा है कि क्या नियमित पानी टंकनियों में सोडियम हाईपो क्लोराइट नहीं डाली जा रही थी ? जिसके चलते पानी में क्लोरीन की मात्रा कम हो गई थी और इसी के चलते बैक्टरिया युक्त पानी लोगों के घरों तक पहुँच रही ? इसके लिए क्या अधिकारी-कर्मचारी जिम्मेदारी नहीं ? ऐसे में क्या न माना जाए कि अधिकारियों की लापरवाही की वजह से रायपुर में पीलिया का संक्रमण फैला और एक व्यक्ति की जान चली गई, जबकि 4 सौ अधिक लोग बीमार हो गए ? आख़िर पीलिया फैलने के लिए दोषी कौन है ? और जो दोषी है उनके खिलाफ क्या कार्रवाई होगी ?