नागपुर। कोरोना संकट पर आज अक्षय तृतीया के मौके पर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सर संघ संचालक डॉ. मोहन भागवत ने देशवासियों के समक्ष अपनी बात रखी. उन्होंने कहा कि यह संकट हमें जीवन को नए सिरे से जीने को प्रेरित करने वाला है. संकट के चलते आज हम स्वावलंबी बनने की दिशा में आगे बढ़े हैं. संकट ने हमें प्रकृति को बचाकर कैसे जीना यह भी सीखा रहा है. संकट से आज प्रकृति की आबो-हवा, पानी सब कुछ शुद्ध भी हुआ है. संकट ने हमें परिवार की महत्ता और समाज की उपोगिता को समझाने का भी काम किया है. उन्होंने कहा कि हम अगर प्रकृति का ख्याल रखेंगे, तो प्रकृति हमारा ख्याल रखेगी. आज हमारा पर्यावरण शुद्ध हुआ है. हमें जैविक खेती की ओर बढ़ना होगा.

उन्होंने सरकार को संस्कार मूलक शिक्षा देनी होगी. सरकार शिक्षा की नीति पर काम करने की जरूरत है. समाज को भी इस दिशा में देने की जरूरत है. नागरिक अनुशासन का पालन करने की भी जरूरत है. जहाँ-जहाँ नागरिक अनुशासन का पालन हो रहा वहाँ-वहाँ कोरोना का संकट खत्म हो रहा है. हमें अपनी आदत को और बेहतर बनाने की जरूरत है. समाज में सहयोग और सद्भभाव की भावना कायम रखना होगा.

उन्होंने कहा कि नित्य लगने वाली शाखा हमे खेल-खेल में विपत्तियों का सामना करना ओर अपने समुहिल सामर्थ्य से उसका निदान करना सीखाती है. आज किसी भी विपत्ति में समाज आशा भरी नजरों से संघ की ओर देखता है, संघ @Rssorg सदैव समाज की आशा पर खरा उतरता आया है, स्वयंसेवक आज भी अपनी भूमिका का निर्वाह भलीभांति कर रहा है.

यह उसी संघ @Rssorg के स्वयंसेवक है जिन्होंने विभाजन के समय अपने प्राणों की आहुति दे कर भी पाकिस्तान में फंसे अंतिम हिन्दू को सकुशल भारत भेजा था. अपनी अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की पूरी तैयारी और देशभर से आये कार्यकर्ताओ को लोटा कर देशहित में संघ ने अपनी भूमिका पहले दिन से स्पष्ट कर दी थी. छोटी-छोटी बातों को नित्य ध्यान रखें बूंद बूंद मिलकर ही बड़ा जलाशय बनता है एक एक त्रुटि मिलकर ही बड़ी बड़ी गलतियां होती है, इसलिए शाखाओं में जो शिक्षा मिलती है उसके किसी भी अंश को नगण्य अथवा कम महत्व का नहीं मानना चाहिए.  देश से है प्यार तो हर पल यह कहना चाहिए, मैं रहूँ या ना रहूँ भारत ये रहना चाहिए.  जो स्वयंसेवक बाढ़, तूफान, भूकंप से नहीं डरे वो इस कोरोना संकट से क्या डरेंगे भला, देश हित मे कमर कर चुके अपनी भूमिका सिद्ध करने को. हर आपदा में संघ @Rssorg राष्ट्र के लिए, राष्ट्र के साथ.

राष्ट्र सर्वोपरी. ” राष्ट्र को प्राथमिकता ही ,जीवन का मार्ग प्रशस्त करना है. ”  इदं राष्ट्रायय् स्वाह, इदं न मम्. आक्रमणों का सामना करने में समर्थ और शक्तिशाली राष्ट्र तब ही बन सकता है, जब राष्ट्र को एकसूत्रता में गूंथा जाए.  सोच कर ही दिल दहल जाता है,
कि संघ न होता तो क्या होता?? @Rssorg राष्ट्र के सजग प्रहरी.  राष्ट्रहित और देशभक्ति किसी एक की नहीं हम सब की ज़िम्मेदारी है. #राष्ट्रप्रथम. ” देश ह पहली,इहि बिचार से ही जीवन के असली मार्ग तय होही. ”

कोरोना संकट में स्वयंसेवकों की भूमिका ने पुनः सिद्ध कर दिया कि संघ की शाखाएं मात्र कवायद करने का स्थान नही है. यहां राष्ट्र का संकट अपने ऊपर लेने वाले ध्येयनिष्ठ कार्यकर्ताओम का निर्माण सतत होता है. एकांत में आत्मसाधना और परोपकार संघ कार्य का स्वरूप.  कार्य का श्रेय दूसरों को देना ही जीवन. यह सेवा कार्य संघ के कार्य जैसा है. यह सेवा प्रसिद्धि के लिए नहीं है. अपने समाज और देश के लिए आत्मीयता के लिए यह सेवा है.  संघ के बड़े सेवाकार्य चल रहे हैं. दुनिया देख रही है. मनुष्य के जीवन की कल्पना – हम अच्छे बनें दुनिया को अच्छा बनाएं. कोरोना नई बीमारी है. कब तक चलेगी कोई जानता नहीं है. वह सेवाकार्य तबतक सातत्य से चलना चाहिए जबतक ये कोरोना महामारी चलेगी.

यह सेवा कार्य संघ के कार्य जैसा है. यह सेवा प्रसिद्धि के लिए नहीं है. अपने समाज और देश के लिए आत्मीयता के लिए यह सेवा है.  हम सेवाकार्य कर रहे हैं किंतु यह काम अपना डंका बजाने के लिए नहीं बल्कि इसलिए कर रहे हैं क्योंकि यह समाज हमारा है. काम करना परन्तु श्रेय दूसरे को देना इस आत्मीयता के साथ हम काम कर रहे हैं. संघ के बड़े सेवाकार्य चल रहे हैं. दुनिया देख रही है.
संघ के बड़े सेवाकार्य चल रहे हैं. दुनिया देख रही है. मनुष्य के जीवन की कल्पना – हम अच्छे बनें दुनिया को अच्छा बनाएं.
लॉकडाउन एकांत में साधना जैसा है. स्वयंसेवक अपने आप अकेले शाखा लगा रहे हैं, समय पर प्रार्थना कर रहे हैं.
अनेकानेक सेवा कार्य चल रहे हैं. दुनिया इसे देख रही है.

देखिए मोहन भागवत का संबोधन
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