दिनेश द्विवेदी, कोरिया। कुर्सी की माया ही ऐसी होती है कि जिसे न मिले वो पाने के लिए दौड़े और जिसे मिल जाए वो छोड़ना न चाहे. कुर्सी की इसी मायाजाल के भंवर में जिले का एक अफसर भी फंस गया है. मलाईदार पोस्ट का अतिरिक्त प्रभार जब उनसे छीना जाने लगा तो साहब इसे बर्दाश्त ही नहीं कर पाए और कार्यालय में जाकर सीधे ताला ही जड़ दिया, आरोप तो सरकारी वाहन पर भी कब्जा कर अपने पास रखने का भी है. अब जिस अफसर को यह प्रभार मिला है तो उनकी मजबूरी भी देखिये तालाबंदी की वजह से उन्हें कार्यालय के बाहर ही बैठकर काम करना पड़ रहा है. हम बात कर रहे हैं कोरिया जिले के खड़गवां वन परिक्षेत्र की. खड़गंवा परिक्षेत्र का पद रिक्त होने की वजह से चिरमिरी में पदस्थ राय सिंह मार्कों को यहां का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया था. सरकार ने राय सिंह मार्को से अतिरिक्त प्रभार लेते हुए यहां हीरालाल सेन को पदस्थ करने का 2 मार्च को आदेश जारी किया. लेकि डेढ़ महीना बीत जाने के बाद भी राय सिंह मार्कों जब प्रभार नहीं सौंपा तो उन्होंने 17 अप्रैल को एकतरफा प्रभार ले लिया. 19 अप्रैल को वनमंडलाधिकारी ने राय सिंह मार्को को वाहन इत्यादि समस्त चीजों को सौंपने का आदेश जारी किया.

वनमंडलाधिकारी को चिट्ठी लिख कर लगाई गुहार

वाहन इत्यादि से महरुम नव पदस्थ रेंजर हीरालाल सेन ने वनमंडलाधिकारी को चिट्ठी लिखकर गुहार लगाई है. उन्होंने पूरा वाक्या तफ्सील से लिखा है. उनके द्वारा लिखी गई चिट्ठी के मुताबिक वनमंडलाधिकारी द्वारा दिये गए आदेश के दो दिन बाद 21 तारीख को राय सिंह मार्को रात्रि में आकर कार्यालय में अपना ताला लगाकर चले गए. अपने चिट्ठी में उन्होंने आगे लिखा है कि “परिक्षेत्र खडगंवा के पूर्व परिक्षेत्र अधिकारी मार्को साहब द्वारा उच्च अधिकारियों के आदेश के उपरांत भी प्रभार नहीं दूंगा जो करना है कर लो, मैं आदिवासी हूं आदिवासी एक्ट लगाकर रिपोर्ट करा कर बुक करा सकता हूं.” उन्होंने आगे लिखा है कि कार्यालय का ताला खोलने के लिए मार्को साहब को निर्देश दे जिससे विभागीय कार्य किया जा सके.

कार्यालय में ताला लगने से कार्य प्रभावित

राय सिंह मार्को द्वारा ताला लगाने के बाद हीरालाल सेन अब कार्यालय के बाहर कुर्सी लगाकर बैठने को मजबूर हैं. इसके साथ ही वे कोई भी विभागीय कार्य भी नहीं कर पा रहे हैं. वहीं मार्कों द्वारा सरकारी वाहन पर भी कब्जा जमाए जाने की वजह से वे फील्ड में भी नहीं जा पा रहे हैं. दो अफसरों की कुर्सी की इस लड़ाई में यहां सरकारी कार्य बाधित हो रहा है.

जातिगत आरोप में फंसाने की धमकी

वन परिक्षेत्र अधिकारी हीरालाल सेन ने कहा कि परिक्षेत्र आधिकारी द्वारा प्रभार नही दिया जा रहा था. जिसके कारण मैंने एकतरफा प्रभार ग्रहण किया परन्तु अब उनके द्वारा कार्यालय में ताला लगा दिया गया है और सरकारी वाहन भी वे लेकर चले गए हैं. जिससे कार्यालय का काम बाधित हो रहा है. मुझे जातिगत आरोप में फंसाने की धमकियां दी जा रही है. इस संबंध में मैंने वनमंडलाधिकारी कोरिया को अवगत करवा दिया है.

कार्यालय मेरी जागीर है न ताला खोलूंगा न प्रभार दूंगा

वहीं जब हीरालाल सेन द्वारा तालाबंदी किये जाने के आरोप पर जब राय सिंह मार्कों से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि मेरा सामान था, मेरी किताबें थीं, टेबल कुर्सी थी. जिसे मैं लाना चाहता था लेकिन लॉक डाउऩ होने की वजह से गाड़ियां बंद थी. इसलिए ताला लगाया. वहीं आदिवासी धमकी देने के आरोपों पर कहा कि हीरालाल सेन मुझे अपनी पहुंच का धौंस दिखा रहा था तो मैं क्या करता.. वहीं गाड़ी अपने पास रखने के आरोप पर उन्होंने कहा कि गाड़ी मेरे पास नहीं है कार्यलय में उपयोग हो रही है. ताला लगाना गलत- कलेक्टर इधर जब जिला कलेक्टर डोमन सिंह से जब इस मामले में बात की गई तो उन्होंने कहा कि वन मंडलाधिकारी से बात करिये. कार्यालय में ताला लगाना गलत है, मैं दिखवाता हूं.

नियमानुसार कार्रवाई होगी

वहीं जब वनमंडलाधिकारी आरके चंदेले से जब इस पूरे मामले को लेकर बात की गई तो उन्होंने कहा कि मेरे द्वारा उनको लिखित में प्रभार से हटाए जाने और नवपदस्थ वन परिक्षेत्राधिकारी को चार्ज देने का आदेश दिया गया है. अगर वो ताला बंद किये है तो यह गलत है. नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी.