सत्यपाल सिंह,रायपुर। नए शिक्षक सत्र के शुरु होने से पहले परिजन अपने बच्चों के लिए स्कूलों की सामग्री खरीदने में जुट गए हैं. लॉकडाउन का फायदा उठाकर व्यापारी दुकानों में परिजनों को सामग्री मंहगे दर पर बेच रहे हैं. स्कूल प्रबंधन और दुकानदारों का काला खेल अभी से जारी हो गया है. एक-एक दुकानों में 5 से 10 स्कूलों का पूरा सामान बिक रहा है. लल्लूराम डॉट कॉम की टीम ने जब इसका पड़ताल किया, तो पता चला कि स्कूल ड्रेस से लेकर आउट ऑफ सिलेबस की बुक भारी महंगी दामों में बेच रहे है. दुकानदारों ने कहा कि स्कूल के परमिशन से सामग्री बेची जा रही है.

पालकों के आरोप पर पड़ताल करने लल्लूराम डॉट कॉम की टीम जगदम्बा ट्रेडर्स पहुंची. जहां रमेश कुमार ने बताया कि वो दस साल से कृष्णा पब्लिक स्कूल का पुस्तक कॉपी और ड्रेस बेच रहे हैं. रमेश मुर्राका ने बताया कि वो 10 साल से यही काम कर रहाे हैं. उनके पास अभी चार स्कूलों का पुस्तक और स्कूल ड्रेस है. कृष्णा पब्लिक स्कूल, छत्तीसगढ़ एजुकेशन एकेडमी जैसे चार स्कूलों का ऑर्डर है, जो कुछ दिन में मिल जाएगा. वहीं अधिक मूल्य में ही आउट ऑफ़ सिलेबस की पुस्तक बेचने के आरोप पर जगदम्बा ट्रेडर्स ने पालक को एक हजार रुपए वापस कर दिया.

बच्चे के परिजन ने कहा कि ये बच्चों के लिए बिल्कुल उपयुक्त नहीं है. शासन से माँग है कि वो इस टाइप की गलत पुस्तकें बाज़ार में न बेचें. पालकों पर दबाव न डाला जाए और ऐसे दबाव डालने वाले स्कूल प्रबंधन पर कार्रवाई होना चाहिए. पहले बेचते है फिर बाद में बंद कर देते हैं. उसके आगे का पार्ट देने की जो बात हुई, वो मिलता भी नहीं है. ऐसे में पैसे भी गये और पुस्तक भी नहीं मिला है. पालक तो फंस गए है.

सवाल- स्कूल अपने लोगो के साथ सामान बेचने के लिए क्या आपको अधिकृत करते हैं ?

जवाब- इस सवाल पर व्यापारियों ने कहा कि स्कूल अपना लोगो देती है, उसे ड्रेस पर लगाया जाता है. स्कूल हमें परमिशन नहीं देती है. पिछले 10 सालों से यह काम कर रहे हैं. बच्चों के परिजन हमारे पास आते हैं. यूनिफार्म और बुक्स भी लेते हैं. उन्होंने बताया कि हम अकेले नहीं है, जो निजी स्कूलों का ड्रेस बेचते हैं. इसमें प्रिया ड्रेसेस, जगदंबा ट्रेडर्स, रायपुर ड्रेसेस समेत कई दुकानदार स्कूल सामग्री बेचते हैं. वो कहते हैं कि यह सब बेचने के हमें परमिशन लेने की ज़रूरत नहीं है, क्यों ले ओपन मार्केट है. जैसे चावल, दूध कहीं से भी ले सकते हो ठीक वैसे ही ड्रेस और पुस्तक कहीं से भी ले सकते हैं.

सवाल- आउट ऑफ सिलेबस की पुस्तक महंगे दामों में बेचने का आरोप परिजन लगा रहे है ?

जवाब- इस सवाल पर दुकानदार ने कहा कि 1800 का कोई पुस्तक नहीं है. 1000 रुपए में बेच रहे हैं. जिसकी बात परिजन कर रहे है, वो बुक नहीं एक्टिविटी का चार्ज है. ऐसा स्कूल का कहना है. ये तो स्कूल वाले ही समझा पाएंगे कि पैसा किस चीज़ का ले रहे हैं. दुकानदार द्वारा बेचे गए पुस्तक और उनके द्वारा दी गई बिल को सामने रखने पर कहा कि हज़ार रुपये में बेच रहा था अभी मेरे पास नहीं है.

सवाल- आउट ऑफ सिलेबस की पुस्तक बेचने के लिए किसने कहा था ?

जवाब- दुकानदार ने कहा कि कृष्णा पब्लिक स्कूल से सेलेबस आई थी. वो हमें बुक लिस्ट देती है, उसके आधार पर हम मगाते हैं और प्रोवाइड कराते हैं.

सवाल- आप जिन पुस्तकों को बेच रहे हैं, इसका रेट निर्धारण कौन करता है ?

जवाब- इसका रेट निर्धारण हम खुद करते हैं. कितने में आया, कितना ख़र्च हुआ है, पूरा खर्च देखने के बाद उसका रेट निर्धारित करते हैं. हमारी कोशिश होती है कि पालकों को कम रेट में दें.

सवाल- आउट ऑफ सिलेबस का बुक किसका प्रकाशन है और इस बुक की मान्यता कहाँ से हैं ?

जवाब- यह बुक स्कूल फॉर लाइफ़ का प्रकाशन हैं. स्कूल से अधिकृत और मान्यता प्राप्त है. अब तक हम स्कूल के आदेश पर ही बेचते हैं. शासन का कोई ऐसा आदेश नहीं आया है कि नहीं बेचना है, न ही कोई गाइडलाइन है.