रायपुर- लाकडाउन के बीच छत्तीसगढ़ में शराब दुकान खोले जाने के सरकारी फैसले पर बीजेपी ने कड़ा विरोध दर्ज कराया है. नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने आज पत्रकारों से बातचीत में कहा है कि ये तय हो गया है कि सरकार की प्राथमिकता शराब दुकान है. शराब दुकानों में सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ाई जा रही है. सत्ता में रहते हुए बीजेपी सरकार ने जिस कोचिया प्रथा को खत्म किया था, अब कांग्रेस सरकार ने डिलीवरी बाॅय के जरिए शराब लोगों के घरों तक पहुंचा दिया है. उन्होंने कहा कि कहीं ये शराब की घर पहुंच सेवा, कोरोना पहुंच सेवा न बन जाए. होम डिलीवरी के जरिए सरकार लोगों को शराब पीने के लिए प्रोत्साहित कर रही है. सब जरूरी सेवाएं बंद हैं, लेकिन शराब दुकान खोल दिया गया है. इससे हालात और बिगड़ सकते हैं.
घरमलाल कौशिक ने कहा कि कोरोना की वजह से लागू हुआ लाकडाउन पूर्ण शराबबंदी के लिए सरकार के सामने एक बड़ा अवसर था. चुनाव के पहले कांग्रेस ने अपने जन घोषणा पत्र से यह वादा किया था कि सत्ता में आने के बाद राज्य में बिहार, गुजरात की तर्ज पर पूर्ण शराबबंदी लागू की जाएगी, लेकिन सत्ता में आने के बाद इसके लिए कमेटी बना दी. जबकि कमेटी की जरूरत ही नहीं है. कांग्रेस सरकार का वादा है, तो पूरा उन्हें ही करना चाहिए. इसके लिए राजनीतिक कमेटी की जरूरत क्या है? ये शराबबंदी की प्रक्रिया नहीं, बल्कि शराबखोरी को बढ़ावा देने की प्रक्रिया है. कौशिक ने कहा कि शराब को लेकर हमने पहले भी यह मांग की थी कि जिला स्तर पर एक निगरानी समिति बनाई जाए, जिसमें स्थानीय स्तर पर राजनीतिक दलों के साथ-साथ समाजिक संगठऩों के लोगों को शामिल किया जाए. उन्होंने कहा कि लाॅकडाउन जारी है, ऐसे दौर में हम धरना-प्रदर्शन नहीं कर सकते, लेकिन सरकार के इस फैसले पर अन्य माध्यमों से विरोध दर्ज कर सकते हैं. हम अपनी बात सरकार तक पहुंचा रहे हैं. नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि शराब बिक्री की अनुमति देने के बाद अब मनरेगा का पैसा मजदूर इस पर खर्च करेंगे. लोगों के घरों में कलह होंगे. लूटपाट की घटनाएं बढ़ेगी. एक्सीडेंट के मामले सामने आ सकते हैं. अपराधिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा. सरकार को इन मामलों पर ध्यान दिए जाने की जरूरत है. शराब दुकान खोलना सरकार की मजबूरी नहीं है.
आर्थिक स्थिति अच्छी फिर किस बात का पैकेज मांग रही सरकार
नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने कहा कि अभी हाल ही में आरबीआई की रिपोर्ट का हवाला देकर राज्य सरकार ने अपनी आर्थिक स्थिति को बेहतर बताया था. केंद्रीय कर्मचारियों की डीए कटौती के बाद भी राज्य सरकार ने अपने कर्मचारियों को डीए दिए जाने की बात कहीं है. ऐसे में जब आऱबीआई ने छत्तीसगढ़ की आर्थिक स्थिति अन्य राज्यों से बेहतर आंकी गई है, राज्य सरकार कर्मचारियों को डीए देंने की बात कर रही है, तो फिर राज्य में आर्थिक संकट कैसे आ गया? ऐसे में केंद्र से 30 हजार करोड़ का पैकेज मांगने का क्या औचित्य है? कोरोना के खिलाफ सरकार की इस लड़ाई में हम राजनीति नहीं कर रहे, आर्थिक मामलों को सरकार ने खुद ही बेहतर बताया है. कौशिक ने कहा कि ट्रेनों के जरिए मजदूरों को गृह राज्य भेजे जाने के मामले में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी राजनीति कर रही है, उनके द्वारा एक वर्ग को अलग करना अनुचित है, जबकि प्रधानमंत्री कोरोना के खिलाफ बखूबी लड़ाई लड़ रहे हैं. जिन-जिन राज्यों में कांग्रेस की सरकार है, कांग्रेस अध्यक्ष होने के नाते सोनिया गांधी मजदूरों को लाए जाने का खर्च वहन करने के निर्देश दे सकती है.
धान नहीं खरीदा, तो किसानों का होगा नुकसान
धरमलाल कौशिक ने कहा कि मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद किसानों को 19 मार्च को धान खरीदी के लिए टोकन दिया गया था, लेकिन उसकी खरीदी भी प्रभावित हुई है. ऐसे में अब मुख्यमंत्री को अपने मातहत अधिकारियों को धान खरीदी के लिए निर्देशित किए जाने की जरूरत है.
पीलिया पर बीजेपी का हमला
इधर नेता प्रतिपक्ष ने राजधानी रायपुर में पीलिया और बिलासपुर में डायरिया के बढ़ते मामलों पर भी सरकार पर अनदेखी का आरोप लगाते हुए कई गंभीर आरोप लगाए हैं. उन्होंने कहा है कि जिस तरह से मामले बढ़ रहे हैं, आने वाले दिनों में हम राजधानी को बचा सके. सुरक्षित रख सके. इस दिशा में काम करने की जरूरत है. नगर निगम में कांग्रेस है. राज्य सरकार कांग्रेस की है. ऐसे में सहयोग लिया जा सकता है. यदि इस ओर ध्यान नहीं दिया गया तो पीलिया द्रुत गति से बढ़ सकती है.