शैलेंद्र पाठक, बिलासपुर। लॉकडाउन में बंद शराब दुकानें खुलने के बाद सामाजिक दूरी की धज्जियां उड़ गई. बिलासपुर में इतनी भीड़ देखी गई कि लोगों के पैर रखने तक के जगह नहीं थे. वहीं जान जोखिम में डालकर भाड़े के लोग कुछ रुपए के लालच में लाइन में टूट पड़े. अब आशंका जताई जा रही कि इसमें कोरोना संक्रमित लोग भी भीड़ में आ जाए तो पता ही न चले. इसी तरह अगर कुछ दिन और भीड़ दिखी तो हो सकता है सरकार को अपने निर्णय पर पुनर्विचार करना पड़ जाए. यह गंभीर स्थिति न सिर्फ बिलासपुर में रही, बल्कि प्रदेश के अन्य़ स्थानों के शराब दुकानों में देखने को मिली.

दरअसल, बिलासपुर में कोरोना संक्रमण से सिर्फ एक महिला प्रभावित हुए और स्वस्थ होकर भी घर लौट गए. इस कारण बिलासपुर जिला आज ग्रीन जोन में है. लेकिन पहले ही दिन शराब दुकानों में उमड़ी भारी भीड़ से चिंतित बिलासपुर विधायक शैलेष पांडेय ने जिला कांग्रेस कमेटी ग्रामीण के अध्यक्ष, पार्षद विजय केशरवानी की मौजूदगी में मुख्य सचिव आरपी मंडल से फोन पर चर्चा की. उन्होंने कहा कि लॉकडाउन का पालन कराने और कोरोना वायरस से सजग व सतर्क रहने पिछले 43 दिनों तक बिलासपुर ने काफी मेहनत की है.

लोगों के घरों में स्वास्थ्य विभाग का अमला भेजकर डेढ़ लाख लोगों का स्वास्थ्य परीक्षण कराया गया और लोगों के ट्रेवल टूर का पता लगाया गया. इसी की वजह से बिलासपुर की स्थिति बेहतर बनी हुई है मगर शराब दुकानों की भीड़ से खतरा और बढ़ सकता है.

विधायक शैलेश पांडे ने मुख्य सचिव आरपी मंडल को शराब बेचने के फैसले पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया है. उन्होंने शराब दुकान में उमड़ रही भीड़ को खतरनाक बताया. और भीड़ की वजह से कुछ अनहोनी होने की आशंका जताई है.