रायपुर- राजस्थान के कोटा में पढ़ने वाले राज्य के 2200 से ज्यादा बच्चों को अब क्वारंटीन सेंटरों में रहने से मुक्ति मिलेगी और ये सब अब अपने अपने घरों में ही क्वारंटीन रहेंगें. इस बात की जानकारी आज राज्य शासन में उच्च स्तर पर पदस्थ सूत्रों ने दी है. सूत्रों का कहना है कि चूंकि स्वास्थ्य जांच में कोटा में पढ़ने वाले छत्तीसगढ़ के सभी बच्चे निगेटिव पाये गयें हैं,इसलिये भारत सरकार की नई गाइडलाइन के मुताबिक इन बच्चों को होम क्वारंटीन की अनुमति दे दी जायेगी. बताया जा रहा है कि बच्चों को होम क्वारंटीन में रखने के लिये गाइडलाइन तैयार की जा रही है और इस गाइडलाइन के तहत आज शाम से बच्चों को उनके घर में शिफ्ट करने की प्रक्रिया शुरु कर दी जायेगी.कवर्धा कलेक्टर अवनीश शरण ने भी कहा है कि हम बच्चों को होम क्वारंटीन के लिये भेज रहे हैं.
सूत्रों ने बताया कि बच्चों को होम क्वारंटीन करने के लिये उनके अभिभावकों से शपथपत्र भराया जायेगा और उन्हें गाइडलाइन का गंभीरता से पालन कराने के लिये शपथ दिलावाया जायेगा. इन सभी बच्चों की जिला स्तर पर स्वास्थ्य विभाग सख्त मानिटरिंग करेगा और 14 दिनों के होम क्वारंटीन के बाद ही यह माना जायेगा कि बच्चों को किसी तरह का संक्रमण नहीं हुआ है.मिनी जानकारी के मुताबिक राज्य शासन ने इन बच्चों को होम क्वारंटीन करने के प्रस्ताव पर सहमति दे दी है और गाइडलाइन तैयार होते ही इस संबंध में आदेश जारी कर दिया जायेगा.
इन बच्चों के लिये राज्य के अलग अलग जिलों में बनाये गये क्वारंटीन सेंटर से भी यह जानकारी सामने आ रही है कि बच्चों को लंच के बाद अपना सामान पैक करने के लिये कहा जा रहा है.हालांकि कुछ सेंटरों में ही इस आशय की सूचना दी जा रही है,लेकिन राज्य शासन से जुडे सूत्र बता रहें हैं कि कुछ ही घंटे बाद सभी सेंटरों में इस आशय की सूचना प्रसारित कर दी जायेगी.
गौरतलब है कि कोटा में फंसे 2252 छात्रों को लाने के लिये राज्य सरकार ने प्रशासनिक अधिकारियों और डॉक्टरों की टीम के साथ 97 बस भेजे थे. कोटा में बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण कर छत्तीसगढ़ लाया गया था और यहां पर क्वारंटीन सेंटरों में भी स्वास्थ्य परीक्षण कर सभी बच्चों और इनके साथ कुछ अभिभावकों के सैंपल जांच के लिये भेजे गये थे,जिसमें सभी की रिपोर्ट निगेटिव आई थी. कुछ क्वारंटीन सेंटरों में अव्यवस्था के चलते अभिभावक लगातार सरकार से मांग कर रहे थे कि उनके बच्चों को सरकार होम क्वारंटीन की सुविधा दे,जिसकी समीक्षा के बाद अब सरकार अभिभावकों की बात मानने के लिये तैयार हो गई है.