रायपुर। स्वास्थ्य विभाग द्वारा प्रदेश के थैलेसिमिया पीड़ितों को उनकी आवश्यकतानुसार लाइसेंसीकृत ब्लड-बैंकों से निःशुल्क रक्त उपलब्ध कराया जा रहा है। सभी चिकित्सा महाविद्यालयों और जिला चिकित्सालयों में इसके पीड़ितों को निःशुल्क दवाईयां (Iron Chelating Agent – Deferisirox) दी जा रही हैं। थैलेसिमिया की पहचान के लिए रायपुर के सिकलसेल संस्थान तथा बिलासपुर, रायगढ़ और जगदलपुर के मेडिकल कॉलेजों में एचपीएलसी जांच की सुविधा है। थैलेसिमिया पीड़ितों को मेडिकल कॉलेजों, जिला अस्पतालों और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में समय-समय पर विशेषज्ञों द्वारा निःशुल्क परामर्श भी दिया जाता है।

थैलेसिमिया पीड़ितों में रक्त अल्पता दूर करने करने उन्हें बार-बार ब्लड-ट्रांसफ्यूजन की जरूरत पड़ती है। राज्य शासन ने पीड़ितों की इस जरूरत को देखते हुए डॉ. खूबचंद बघेल स्वास्थ्य सहायता योजना के अंतर्गत सभी पंजीकृत अस्पतालों में निःशुल्क ब्लड-ट्रांसफ्यूजन की व्यवस्था की है। थैलेसिमिया सोसाइटी के सहयोग से प्रदेश के करीब साढ़े तीन सौ मरीजों का विभिन्न जिलों में पंजीयन कर उन्हें निःशुल्क जांच, उपचार एवं दवाईयां उपलब्ध कराई जा रही है।

कोविड-19 के चलते लागू देशव्यापी लॉक-डाउन में भी इसके गंभीर मरीजों की जरूरत का संवेदनशीलता से ख्याल रखा जा रहा है। स्वास्थ्य मंत्री टी.एस. सिंहदेव की पहल पर हाल ही में कोरिया जिले से एम्बुलेंस द्वारा 16 वर्षीय थैलेसिमिया पीड़ित को रायपुर के डीकेएस अस्पताल लाकर इलाज कराया गया है। शासकीय अस्पतालों में सुविधा नहीं होने के कारण थैलेसिमिया पीड़ित दो गर्भवती महिलाओं का सीवीएस टेस्ट (CVS – Chorionic Villus Sampling Test) निजी अस्पताल में शासन द्वारा कराया गया है।

थैलेसिमिया रोग बच्चों को माता-पिता से आनुवांशिक तौर पर मिलने वाला रक्त विकार है। इसमें शरीर की हीमोग्लोबिन निर्माण प्रक्रिया में विभिन्नता आ जाती है जिसके कारण खून की कमी के लक्षण प्रकट होते हैं। इससे रोगी बच्चे के शरीर में रक्त अल्पता होने लगती है और उन्हें बार-बार ब्लड-ट्रांसफ्यूजन की जरूरत पड़ती है। मेजर थैलेसिमिया मरीज और माइनर थैलेसिमिया ट्रेट के रूप में थैलेसिमिया के पीड़ितों को दो वर्गों में विभाजित किया जाता है। मेजर थैलेसिमिया मरीजों को ही इलाज की जरूरत होती है। दोनों ही तरह के मरीजों का विवाह पूर्व परामर्श आवश्यक है।