रायपुर- छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री डाक्टर रमन सिंह ने आज एक बार फिर कोरोना संकट के बीच राज्य सरकार की भूमिका पर सवाल उठाते हुए कहा है कि संकट की घड़ी में राज्य के गरीब तबके के लोगों को सरकार ने मदद के नाम महज सिर्फ 30 रूपए की राहत दी है. यह राहत मुफ्त चावल देने के नाम पर दी गई. उन्होंने कहा कि सरकार के पास कोरोना संकट से उबरने कोई ठोस कार्ययोजना नहीं है. मनरेगा में काम नहीं चल रहा है. राज्य सरकार ने अपने बजट में 30 फीसदी की कटौती कर दी है. प्रवासी मजदूरों को उनके हाल पर छोड़ दिया गया है. शराब दुकानों को खोलकर सरकार ने सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ा दी है. इससे यह तय हो गया है कि सरकार की प्राथमिकता में लोगों की सुरक्षा से ज्यादा पैसा कमाना है. रमन सिंह ने कहा कि राज्य सरकार के पास डीएमएफ के पैसे उपलब्ध है, लेबर डिपार्टमेंट के उपलब्ध है. आपदा के पैसे उपलब्ध है. हर मजदूर को एक हजार रूपए सभी राज्य सरकारों ने दिया, लेकिन छत्तीसगढ़ में नहीं दिया गया. छत्तीसगढ़ ने प्रवासी मजदूरों को भूखे मरने छोड़ दिया. सरकार सिर्फ बात करती रही. डाक्टर रमन सिंह ने आज गो टू मीटिंग एप के जरिए पत्रकारों से बातचीत करते हुए कई मुद्दों पर सरकार को घेरा है.
पूर्व मुख्यमंत्री डाक्टर रमन सिंह ने कहा कि राज्य के प्रवासी मजदूरों की दयनीय हालत देखकर पीड़ा होती है. आज तक इस सरकार ने उन एक लाख 60 हजार मजदूरों के लिए कोई बड़ा कदम नहीं उठाया. सरकार पूरी तरह से मजदूरों को लेकर उदासीन है. उनकी पीड़ा, उनकी तकलीफ, दर्द को समझ नहीं रही. वेदना सरकार तक पहुंच नहीं पा रही. यूपी में आज तक 345 ट्रेन जा चुकी है. गुजरात में 300 ट्रेन पहुंच चुकी है, लेकिन छत्तीसगढ़ में आज तक महज 1200 मजदूर आए हैं. उन्होंने कहा कि केंद्रीय रेल मंत्री पीयूष गोयल ने ट्वीट कर कहा कि दुख होता है कि संकट के वक्त भी छत्तीसगढ़, बंगाल और राजस्थान की सरकार उदासीन है. रमन ने कहा कि रेलवे से हर रोज 300 ट्रेन रिलीज हो रही है. अब तक छत्तीसगढ़ में 50-60 ट्रेन आ जानी चाहिए थी. केंद्रीय रेल मंत्री को बोलना पड़ा कि राज्य सरकार उदासीन है. जरूरत है कि राज्य सरकार को मजदूरों की चिंता करनी चाहिए. ट्रेन के लिए बात करनी चाहिए. सोनिया गांधी कह चुकी है कि मजदूरों के साथ कांग्रेस खड़ी होगी. यहां सरकार कांग्रेस की है. सरकार को इस पर स्पष्टीकरण देना चाहिए. उन्होंने कहा कि एक हफ्ते से ट्रेन के लिए मूवमेंट शुरू हो गया था. अब तक सोए हुए थे, अब जाग रहे हैं. सरकार जनता को रोडमैप बताए कि मजदूरों को लाने के लिए क्या कार्ययोजना बनाई गई है. न तो मीडिया को जानकारी दी, न जनता को, न ही विपक्ष को. हम रोज कहते हैं कि हम हर तरह से मदद करने के लिए तैयार है, लेकिन विपक्ष से बात तक नहीं की गई, भरोसे में नहीं लिया गया. जब बाकी राज्य आगे आ गए, तब ध्यान आ रहा है. कोटा गए बच्चों को लेकर बसे वापस आ गई, किसी ने नहीं रोका. ऐसे में जहां छोटी संख्या में मजदूर फंसे हैं, वहां बस से भी उन्हें लाया जाना चाहिए.