रायपुर। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष विक्रम उसेंडी ने कहा है कि प्रदेश सरकार कोरोना की रोकथाम के उपायों और क्वारेंटाइन सेंटर्स की बेहतर व्यवस्था कायम करने में पूरी तरह फिसड्डी साबित हो चुकी है। उसेंडी ने कहा कि बालोद जिले के अर्जुन्दा थाना क्षेत्र के ग्राम परसवानी के क्वारेंटाइन सेंटर में कल एक युवक द्वारा आत्महत्या करना प्रमाणित करता है कि प्रदेश सरकार कोरोना संकट को लेकर पूरी तरह ग़ैर ज़िम्मेदाराना ढंग से काम कर रही है और प्रदेश में कोरोना संक्रमण के ख़तरे को न्योता दे रही है।

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष उसेंडी ने कहा कि प्रदेश सरकार और कांग्रेस कोरोना की रोकथाम और प्रभावित परिवारों व प्रवासी मजदूरों के नाम पर केवल सियासी ड्रामे ही कर रही है। विभिन्न प्रदेशों से जो प्रवासी मजदूर वापस छत्तीसगढ़ लौट रहे हैं, उनकी प्रदेश की सीमा पर पर्याप्त जाँच और भोजन आदि की व्यवस्था तक नहीं की गई है। उसेंडी ने कहा कि आधी-अधूरी या फिर बिना जाँच के ही इन मजदूरों को प्रदेश में आने दिया जा रहा है। इसी तरह जो मजदूर छत्तीसगढ़ होते हुए अपने गृह प्रदेशों को जा रहे हैं, उनकी जाँच आदि के प्रति भी प्रदेश सरकार की तरफ से कोई मुकम्मल इंतज़ाम नहीं किए गए हैं। इन सबके चलते प्रदेश के शहरी, नगरीय और विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में कोरोना के संक्रमण का ख़तरा बढ़ता जा रहा है।

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष उसेंडी ने कहा कि प्रदेश सरकार की लापरवाही के चलते प्रदेश के अमूमन सभी क्वारेंटाइन सेंटर्स बदइंतज़ामी के चलते प्रदेश सरकार की बदनीयती, कुनीतियों और नेतृत्वहीनता की दास्तां बयां कर रहे हैं। रोज़ इन क्वारेंटाइन सेंटर्स की बदहाली के किस्से अख़बार की सुर्खियाँ बन रहे हैं। कोई आत्महत्या कर रहा है तो किसी की मौत सर्पदंश से हो रही है, लेकिन सरकार केवल कोरी बाते करने में ही मशगूल है। एक सप्ताह के भीतर सारंगढ़ क्षेत्र के बाद कल बालोद जिले के सेंटर में एक दिन पहले ही सूरत से लौटे 27 वर्षीय युवक सूरज यदु की आत्महत्या की वारदात प्रदेश सरकार को ज़मीन दिखाने के लिए पर्याप्त है।

प्रदेश भाजपा अध्यक्ष ने महाराष्ट्र के यवतमाल में एक सड़क हादसे में प्रदेश के पथरिया क्षेत्र के दो प्रवासी श्रमिकों की एक सड़क हादसे में हुई मौत पर शोक व्यक्त कर प्रदेश सरकार से मृतकों और शेष चार घायलों के परिजनों के लिए तत्काल मुआवजा घोषित करने की मांग की है। उसेंडी ने कहा कि यदि सरकार अपने प्रदेश के प्रवासी मजदूरों की वापसी के नाम पर सियासी नौटंकियाँ करने के बजाय केंद्र सरकार से समन्वय बनाकर उनकी समय पर वापसी के लिए संजीदा होती तो यह हादसा नहीं होता। प्रदेश सरकार कोरोना की रोकथाम के प्रति ईमानदारी के साथ काम करते हुए परीक्षण, उपचार, प्रभावित परिवारों की सहायता और प्रवासी मजदूरों के प्रति संवेदनशील व ज़वाबदेह बने, यह ज़्यादा ज़रूरी है।