कोरबा। आखिरकार हाथी को ट्रेंकुलाइज करके कॉलर आईडी लगाने में छत्तीसगढ़ का वन विभाग आत्मनिर्भर हो ही गया। पहली बार इतवार को सुबह 8:50 पर वन विभाग ने धरमजयगढ़ क्षेत्र में प्रथम नाम के एक हाथी को कॉलर आईडी लगाने में सफलता अर्जित की। इसी के साथ विभाग अब कर आईडी में लगाने में लगने वाले लाखों रुपये बचा लेगा। बाहर से एक्सपर्ट को बुलाने में विभाग को लाखों रुपये खर्च करने पड़ते थे। बताया जा रहा है कि धरमजयगढ़ वन परिक्षेत्र में प्रथम हाथी ने पांच लोगों को मौत के घाट उतार था। प्रथम हाथी धरमजयगढ़ से कोरबा कुदमुरा जंगल पहुचा था और उसे कुमकी हाथी तीरथ राम की मदद से ट्रेंकुलाइज कर रेडियो कॉलर पहनाया गया है।

अब तक वन विभाग कॉलर आईडी लगाने के लिए केरल कर्नाटक से लेकर अमेरिका से एक्सपोर्ट बुलाता रहा है जिसे लेकर वन मंत्री मोहम्मद अकबर ने कुछ दिन पहले वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों को फटकार लगाई थी और इस मामले में बाहर से एक्सपोर्ट को बुलाने की खर्चीली परम्परा को बंद करके विभाग को खुद इस काम बिना किसी बाहरी मदद के करने को कहा था।

वनविभाग की टीम पिछले एक हफ्ते से इस काम को बिना किसी बाहरी मदद के करने में जुटी थी। धरमजयगढ़ वन मंडल में पिछले कुछ दिनों से आतंक मचाने वाले प्रथम और गणेश को ट्रेंकुलाइज़ करके कॉलर आईडी पहनाने की कोशिशों में जुटी थी। गणेश फिलहाल वन विभाग की गिरफ्त में नहीं आया है लेकिन इसी दौरान प्रथम को पडकने में विभाग को कामयाबी मिली है।

इस काम को पीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ अतुल शुक्ल, एपीसीसीएफ अरुण पांडेय, सीएसएफ अनिल सोनी, और डीएफओ गुरुनाथन की निगरानी में अंजाम दिया गया। जबकि टीम में शामिल एसीएफ वेटनीनेनेरिन डॉक्टर राकेश वर्मा के निर्देशन में हाथी को ट्रेंकुलाइज़ किया गया।