रायपुर- जहां चाह हो वहां निःशक्तता भी हार जाती है, यह साबित किया है बैंक सखी सुश्री बिंदा यादव ने। उन्होंने केवल 18 दिनों में 46 हजार 100 रूपये का ट्रांजेक्शन कर मिसाल कायम की है। बेमेतरा जिले के ग्राम खिलौरा की अस्थिबाधित दिव्यांग बिंदा यादव में आगे बढ़ने की हिम्मत और इच्छा थी, उनकी इस चाह को राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन ने राह दिखाई।
बिंदा आजीविका मिशन के तहत डिजी-पे-बैंक सखी के रूप में काम करते हुए न सिर्फ खुद सक्षम हुई हैं, बल्कि हजारों लोगों को गांव में ही खाते से नगद भुगतान कर उनके जीवन में खुशियों को माध्यम बन गयी हैं। वह गांव में ही बैंक की सुविधा उपलब्ध कराते हुए योजनाओं की नगद राशि किसानों, मजदूरों, बुजुर्गों, विधवा और निराश्रित महिलाओं और अन्य हितग्राहियों को उनके खाते से उपलब्ध करा रही हैं।
बैंक सखी और डिजी पे सखी घर पहुंच सेवा देकर लॉकडाउन में बैंकों में अनावश्यक भीड़ को रोकने में भी सहायता कर रही हैं। घर पहुंच सेवा के तहत बैंक सेवा प्रदान करते हुए पेंशन भुगतान, मनरेगा मजदूरी भुगतान, राशि निकासी और जमा, बैंक खाता खोलने और हितग्राहियों के खाते मेें सीधे पहुंचने वाली योजनाओं की राशि का नगद भुगतान किया जाता है। इस दौरान बैंक सखी कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए निर्धारित मापदण्डों जैसे मास्क,सेनेटाइजिंग और सोशल डिस्टेंसिंग का भी ध्यान रखती हैं। बैंक सखी और डिजी-पे सखी द्वारा मनरेगा मजदूरों को उनके खाते से कार्यस्थल पर ही नगद भुगतान मिल जाने से मजदूर भी बहुत खुश हैं। मनरेगा मजदूरोें ने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि पहले उन्हंे गांव से दूर बैंक जाकर पैसे निकालने के लिए घण्टों लाइन में खड़े होना पड़ता था। अब काम की जगह पर ही मजदूरी पाना सुविधाजनक हो गया है, इससे हमारे समय की भी बचत हो रही है।