रायपुर। भारतीय जनता पार्टी ने डॉ. आलोक शुक्ला की पोस्ट रिटायरमेंट संविदा नियुक्ति को लेकर प्रदेश सरकार की नीयत पर सवाल उठाया है. पार्टी पदाधिकारियों ने कहा कि आरोपी अधिकारी की संविदा नियुक्ति से भ्रष्टाचार मुक्त प्रदेश बनाने की बात कहने वाली कांग्रेस सरकार का राजनीतिक पाखंड पूरी तरह बेनकाब हो चुका है. भाजपा इस मुद्दे को लेकर न्यायालय में प्रदेश सरकार के फैसले को चुनौती देगी.

भाजपा कार्यालय में प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए संजय श्रीवास्तव, सच्चिदानंद उपासने और नरेश गुप्ता ने कहा कि डॉ. शुक्ला की संविदा नियुक्ति करके प्रदेश सरकार ने अपनी विश्वसनीयता को खुद दांव पर लगाने का काम किया है. एक तरफ प्रदेश सरकार राजस्व आय में कमी के बहाने 30 फीसदी वेतन कटौती के प्रस्ताव पर विचार कर रही है, वहीं दूसरी ओर नान घोटाले के उस आरोपी को रिटायरमेंट के बाद संविदा नियुक्ति देकर प्रदेश के खजाने पर बोझ डाल रही है. ऐसे भ्रष्टाचार के आरोपी की नियुक्ति करके उसे प्रमुख सचिव स्तर की जिम्मेदारी सौंप रही है, जो प्रदेश सरकार की प्रशासनिक समझ व सूझबूझ के दीवालिएपन का परिचायक है. प्रदेश सरकार यह स्पष्ट करे कि आखिर उसकी मंशा क्या है?

भाजपा नेताओं ने कहा कि छत्तीसगढ़ संविदा भर्ती नियम 2012 के नियम 9 उपनियम 3 में यह प्रावधान है कि किसी भी सेवनिवृत शासकीय सेवक के विरुद्ध अभियोजन पेंडिंग होने पर वह संविदा नियुक्ति के लिए पात्र नहीं होगा. डॉ. आलोक शुक्ला के विरूध एसीबी द्वारा दिसम्बर 2018 में नान घोटाला में चालान प्रस्तुत किया गया था, जिसमें वो अनिल टुटेजा के साथ में प्रमुख आरोपी बनाए गए थे. रायपुर के विशेष न्यायालय ने उनके विरुध गिरफ्तारी वारंट जारी किया था. उक्त प्रकरण में अभी विचरण लम्बित है, और आलोक शुक्ला वर्तमान में अग्रिम जमानत पर रिहा हैं. ऐसे व्यक्ति जिसके विरुध्द गंभीर भ्रष्टाचार का विचरण लम्बित है, प्रमुख सचिव जैसे पद पर संविदा नियुक्ति नियमों के खिलाफ और गैर कानूनी है.