रायपुर। सुकमा में जवानों पर हुए नक्सली हमले के खिलाफ लोगों का आक्रोश सोशल मीडिया पर दिख रहा है.  लोगों का गुस्सा सिर्फ नक्सलियों के खिलाफ ही नहीं उठ रहा बल्कि निशाने पर राजनेता, मंत्री सब हैं.

कोई सीधे नक्सिलयों के खिलाफ बड़ी लड़ाई की बात कर रहा है तो कोई सरकार को कोस रहा है कि क्यों ऐसी घटनाएं रुकने का नाम नहीं ले रही हैं.

दिल्ली के वरिष्ठ पत्रकार और साहित्यकार अनंत विजय ने इस हमले पर कम्यूनिष्टों की चुप्पी पर सवाल उठाए हैं. तो दिल्ली के ही एक पत्रकार संजय कुमार ने पूछा है कि नोटबंदी के बाद भी नक्सलवाद और कश्मीर में पत्थरबाज़ी क्यों जारी है.

सरकारी बन चुके राजनाथ सिंह के बयान का मज़ाक शिक्षक विकास सिसोदिया ने अपनी वाल पर उठाया है. तो महिला पत्रकार रुबी अरुण ने माओवादियों से निपटने के लिए हिंदूवादी संगठन को वहां भेजने की वकालत की है. आरटीआई एक्टिवस्ट राकेश चौबे ने पंजाब में आतंकवाद से सफाए करने वाले पूर्व पुलिस अधिकारी केपीएस गिल के उस बयान को अपनी वाल पर लगाया है जिसमें उन्होंने सरकार के कामकाज पर सवाल उठाए थे.

देश के मशहूर स्टैंडअप कॉमेडियन राजीव निगम ने राजनीतिक हालात पर तंज कसा है.

रायपुर से पत्रकार धीरेंद्र ने सवाल पूछा है कि राजनाथ सिंह क्या आजा़द भारत के सबसे कमज़ोर गृहमंत्री हैं. पूर्व जज प्रभाकर ग्वाल ने वाल पर लिखा है कि ये हमला कहीं कल्लूरी को फिर से बस्तर भेजने की कवायद तो नहीं.

अनंत विजय देश के बड़े पत्रकार-साहित्यकार हैं

कोई सीधे नक्सिलयों के खिलाफ बड़ी लड़ाई की बात कर रहा है तो कोई सरकार को कोस रहा है कि क्यों ऐसी घटनाएं रुने का नाम नहीं ले रही हैं. कई लोगों के निशाने पर मीडिया वाले हैं.अनंत विजय देश के बड़े पत्रकार-साहित्यकार हैं

राजीव श्रीवास्तव छ.ग. से रिटायर डीजी हैं
श्याम राव रियल स्टेट से जुड़े हैं
संजय कुमार टीवी न्यूज़ इंडस्ट्री से जुड़े हैं
राकेश चौबे छ.ग. के नामी आरटीआई एक्टिविस्ट हैं
प्रभाकर ग्वाल पूर्व जज और ‘आप’ के नेता हैं
फज़ल राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के महासचिव हैं
धीरेंद्र रायपुर के युवा पत्रकार हैं
देवेंद्र, मंत्री बृहमोहन का मीडिया देखते हैं
अतुल नामी ब्लॉगर और राजनांदगांव के पत्रकार हैं
आलोक शुक्ला छ.ग. के वरिष्ठ नौकरशाह हैं