रायपुर। राज्य सरकार ने प्लास्टिक की थैलियों पर दिसम्बर 2014 में लगाए गए प्रतिबंध के दायरे में अब अल्पजीवन पालीविनायल क्लोरीन यानि पीवीसी और क्लोरीन युक्त प्लास्टिक अर्थात विज्ञापन एवं प्रचार सामग्री यानि पीवीसी के बैनर, फ्लैक्स, होर्डिंग्स, फोम बोर्ड तथा खान-पान के लिए प्रयुक्त प्लास्टिक की वस्तुएं जैसे कप, ग्लास, प्लेट, बाउल एवं चम्मच को भी शामिल कर लिया है.  इन पर तत्काल प्रभाव से प्रतिबंध लगा दिया है. अब कोई भी न तो इन वस्तुओं का निर्माण कर सकता है न ही भंडारण. यही नहीं इसके आयात और निर्यात, आवाजाही के साथ बिक्री पर भी पूरी तरह पाबंदी लगा दी है.  इसकी अधिसूचना आवास और पर्यावरण विभाग द्वारा मंत्रालय से जारी कर दी गई है.

अधिसूचना में कहा गया है किभारत के संविधान के अनुच्छेद 48-क में यह भी अपेक्षा की गई है कि राज्य पर्यावरण संरक्षण और सुधार के लिए प्रयास करेगा. अधिसूचना में इस बात का भी उल्लेख किया गया है कि प्लास्टिक कैरी बैग, अल्पजीवन पीवीसी और क्लोरीन युक्त प्लास्टिक की वजह से गटर तथा मल नालियों और अन्य नालियों में रूकावट आती है. इसके फलस्वरूप पर्यावरण को अल्पकालीन और दीर्घकालीन नुकसान पहुंचता है. इससे स्वास्थ्य समस्याएं और पर्यावरण से जुड़ी गंभीर समस्याएं भी उत्पन्न होती है. एनजीटी के नई दिल्ली स्थित प्रमुख पीठ ने एक प्रकरण पर विचार करते हुए दो जनवरी 2017 को अल्प-जीवन पीवीसी तथा क्लोरीन युक्त प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाने का आदेश पारित किया है. इसी के अनुपालन में ये आदेश जारी किया है.

अधिसूचना में कहा गया है कि छत्तीसगढ़ शासन ने पहले ही प्लास्टिक कैरी बैग के विनिर्माण, भण्डारण, आयात, विक्रय, परिवहन और उपयोग को प्रतिबंधित कर रखा था लेकिन  राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण के दो जनवरी 2017 के आदेश को देखते हुए अब प्लास्टिक कैरी बैग के साथ-साथ अल्प-जीवन, पीवीसी और क्लोरीन युक्त प्लास्टिक पर भी प्रतिबंध लगाने की जरूरत महसूस की जा रही है.

अगर कोई इस आदेश का उल्लघंन करता है तो तो जिला कलेक्टर, एसडीएम और छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल के क्षेत्रीय अधिकारी कार्रवाई के लिए सक्षम होंगे. ऐसे लोगों के खिलाफ पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 19 के तहत मुकदमा भी दायर किया जा सकता है.