मुंबई। कोरोना महामारी के दौर में अभिनेता सोनू सूद गरीब मजदूरों के लिए मसीहा बन के उभरे हैं. लेकिन अब शिवसेना को सोनू का मजदूरों की मदद करना रास नहीं आ रहा है. पहले सामना में हमला और अब मजदूरों से दूर करने की कोशिश. दरअसल सोमवार की रात उत्तर प्रदेश जा रही मजदूर स्पेशल ट्रेन को रवाना करने सोनू सूद मुंबई के बांद्रा स्टेशन पहुंचे. लेकिन उन्हें बाहर ही पुलिस ने रोक लिया. उन्हें अंदर जाने की अनिमति नहीं दी गई. ऐसे में बड़ा सवाल यही है कि क्या सोनू सूद से डर गई है शिवसेना ?

जबकि अभिनेता सोनू सूद ने ही मुम्बई के बांद्रा टर्मिनस से प्रवासी मजदूरों और उनके परिवार वालों के लिए उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ के लिए एक ट्रेन की व्यवस्था की थी. सोनू सूद को मुम्बई बांद्रा टर्मिनस के बाहर से प्रवासी मजदूरों से मिलकर लौटना पड़ा. उन्हें स्टेशन के अंदर प्लेटफॉर्म पर नहीं जाने दिया गया. इस पर सोनू सूद ने कहा कि मुझे इससे फर्क नहीं पड़ता की, मुझे अंदर नहीं जाने दिया गया. लोग सुरक्षित अपने घर पहुंच जाएं. मेरा काम मजदूरों को उनके घर भेजना‌ है और मैं उन्हें यहां विश करने आया था.

नाम‌ नहीं छापने‌ की शर्त पर पुलिस अधिकारियों ने बताया कि मुम्बई रेलवे के डिविजनल मैनेजर की ओर से ही सोनू को‌ प्लेटफॉर्म पर जाने‌ अनुमति नहीं दी गई है. ऐसे में मैनेजर को कही और से आर्डर मिला होगा, कि सोनू को प्लेटफॉर्म पर अंदर जाने नहीं देना है.

बता दें कि इससे पहले शिवसेना के प्रवक्ता संजय राऊत ने प्रवासी मजदूरों को उनके घर पहुंचा रहे सोनू सूद पर रविवार को शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ में एक आलेख लिखकर जमकर हमला बोला था. राउत ने सोनू को बीजेपी का आदमी बताकर पर्दे के बाहर भी एक्टिंग करनेवाला शख्स करार दिया था. संजय राउत ने संपादकीय में लिखा था कि कितने झटके के संग और चतुराई से किसी को महात्मा बनाया जा रहा है. संजय राउत ने आरोप लगाया कि कुछ राजनीतिक दल सोनू सूद का चेहरा आगे कर कर महाराष्ट्र की सरकार को बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं.