रायपुर। अंतर्राष्ट्रीय बाल श्रम प्रतिषेध दिवस 12 जून के पहले महिला बाल विकास विभाग की टास्क फोर्स टीम ने मंगलवार को रायपुर जिले के विभिन्न क्षेत्रों में अभियान चला कर भिक्षावृत्ति में लगे पांच बच्चों, दो महिलाओं और बाल श्रम कर रहे पांच बच्चों को रेस्क्यू किया. इसके साथ ही जिले के तिल्दा विकासखण्ड के सरोरा गांव में अभिभावकों को समझाइश देकर एक नाबालिक बालिका का बाल विवाह रोकने में सफलता हासिल की. टास्क फोर्स की टीम में जिला बाल संरक्षण इकाई, श्रम विभाग, पुलिस विभाग सहित राष्ट्रीय स्तर के दो स्वैच्छिक संगठनों के प्रतिनिधि शामिल थे.

महिला बाल विकास विभाग के सचिव प्रसन्ना आर. के मार्गदर्शन में टास्क फोर्स की टीम ने राजधानी सहित जिले के विभिन्न क्षेत्रों में जाकर लोगों को, प्रतिष्ठानों में बाल श्रम, भिक्षावृत्ति और नशा पीड़ित बच्चों के परिवारों को समझाइश दी गई. जिला बाल संरक्षण अधिकारी नवनीत स्वर्णकार ने बताया कि निरीक्षण के दौरान राजधानी के तेलीबांधा में दो महिलाएं और पांच बच्चे भिक्षावृत्ति करते पाए गए, इनमें दो बालिकाएं तथा दो बालक शामिल थे. साथ ही मौदहापारा के प्रतिष्ठान से एक बालक, भनपुरी से दो बालक और ट्रांसपोर्ट नगर टाटीबंध से दो बालक श्रम करते पाए जाने पर किशोर न्याय अधिनियम के तहत कार्रवाई की गई. उन्होंने बताया कि बच्चोें को काम में रखकर न्यूनतम पारिश्रमिक भी नहीं दिया जा रहा था. इसके लिए भी मिनिमम वेजेस एक्ट के तहत कार्रवाई की जाएगी.

एक बाल श्रमिक बिहार राज्य का रहने वाला है, उसके संबंध में पूरी जानकारी ली जा रही है. श्रम विभाग के द्वारा भी प्रतिष्ठान संचालकों को नोटिस देकर विधिक कार्रवाई की जा रही है. रेस्क्यू किए गए बालकों को बाल गृह और बालिकाओं को बालिका गृह भेजा गया है. भिक्षावृत्ति में संलिप्त महिलाओं को सखी सेंटर भेजकर उनकी काउंसलिंग की व्यवस्था की जा रही है, जिससे भिक्षावृत्ति का कारण जानकर उनकी इस मनोवृत्ति को दूर किया जा सके.