दिलशाद अहमद,सूरजपुर। छत्तीसगढ़ के सूरजपुर जिले के प्रतापपुर में दो दिन में दो हथिनी की मौत हुई है. जिसमें एक गर्भवती हथिनी भी शामिल है, जिसने 9 जून को और दूसरी ने 10 जून यानी आज दम तोड़ा है. वन विभाग के पास दोनों हथिनी की मौत का कोई जवाब नहीं है. अभी तक जान जाने की ठोस वजह भी सामने नहीं आई है. लेकिन कहीं न कहीं लापरवाही इसमें जरूर हुई है. यदि विभाग के अधिकारी समय रहते कुछ उचित व्यवस्था कर लेते, तो यह दिन नहीं देखना पड़ता. अब हथिनियों की मौत का जिम्मेदार किसे ठहराया जाए ?
प्रतापपुर वन परिक्षेत्र के गणेशपुर जंगल में कल एक गर्भवती हथिनी की मौत के बाद आज फिर उसी जंगल में एक और हथिनी के मरने से वन विभाग के सामने कई सवाल खड़े कर दिए है. वन अधिकारी पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने का हवाला देते हुए पल्ला झाड़ रहे है. एक दिन पहले मौत हुई गर्भवती हथिनी रात भर प्रसव पीड़ा से कराहती रही, उसकी कराहने की आवाजें गांव वालों ने सुनी. लेकिन वन विभाग के कानों तक यह आवाज नहीं पहुंची.
सूरजपुर डीएफओ जेआर भगत ने बताया कि कल जिस गर्भवती हथिनी की मौत हुई, उसके लिवर में इन्फेक्शन हो गया था. आज मृत हथिनी के मुंह से झाग देखने को मिला है. पोस्टमार्टम के बाद ही स्पष्ट होगा की मौत की वजह क्या है ? उन्होंने कहा कि हमें खुद सोचना पड़ रहा है कि आखिर किस कारण से दो दिन में दो हथिनी की मौत हुई है. मामले की जांच की जा रही है.
गौरतलब है कि इन दिनों प्रतापपुर क्षेत्र के गणेशपुर इलाके में 18 हाथियों का दल विचरण कर रहा है. ऐसे में हाथियों की निगरानी की जिम्मेदारी तो अमले की होगी, लेकिन इनकी कोई देखभाल नहीं की जा रही है. अपनी लचर कार्यशैली के चलते वन विभाग के अधिकारियों के पास हाथियों के मौत के कारणों का कोई ठोस जवाब नहीं है. हथिनियों की मौत की वजह दूषित पेयजल है या कुछ और है ? इसका खुलासा तो जांच के बाद ही पता चल सकेगा.