सुप्रिया पाण्डेय रायपुर। केंद्र सरकार की किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ अखिल भारतीय किसान सभा ने बुधवार को देशव्यापी प्रदर्शन का आयोजन किया. इस दौरान किसान सभा के साथ 26 संगठनों से जुड़े कार्यकर्ताओं ने किसान विरोधी अध्यादेशों की प्रतियां जलाई.
विरोध प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों का आरोप है कि मंडियों में काम करने वाले लाखों मजदूर जहां बेरोजगार हो रहे हैं, वहीं दूसरी ओर किसानों को उनकी फसलों का वाजिब दाम नहीं मिल रहा है. किसान सभा के संजय पराते ने बताया कि 15 से ज्यादा जिलों में प्रदर्शन चल रहे है.
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने ठेका खेती को कानूनी रूप देने के साथ मंडी अधिनियम को खत्म और आवश्यक वस्तु अधिनियम को खत्म करने की बात कही है. यह पूरी तरीके से जनता के खिलाफ है, और हमारी खेती-किसानी को बर्बाद करने वाला कदम है.
उन्होंने कहा कि ठेका खेती को हम छत्तीसगढ़ में बहुत ही छोटे पैमाने देख चुके हैं, उसका विस्तार होगा तो जमीनी किसानों के हक से छीन जाएंगे और कार्पोरेट अपनी मर्जी से खेती करवाएंगे. हमारे देश व प्रदेश की जो खाद्य सुरक्षा है आत्मनिर्भरता है वह भी पूरी तरीके से खत्म हो जाएगी.
छत्तीसगढ़ में मक्का की खरीदी नहीं की जा रही है, जिसके कारण बाजार में किसानों को करीब 1700 करोड़ का नुकसान होगा. हमारी राज्य सरकार से मांग है कि मक्का की खरीदी करे. वहीं क्वॉरेंटाइन सेंटर के हालत का सुधार करे. वहीं केंद्र से मांग है कि कृषि विरोधी अध्यादेश को वापस लेने के साथ प्रवासी मजदूरों को केंद्रीय स्तर पर आर्थिक सहायता देने की घोषणा करें.