रायपुर। भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पर उनके केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को लिखे पत्र के मद्देनज़र कटाक्ष करते हुए कहा है कि छत्तीसगढ़ की अर्थ व्यवस्था को सबसे अच्छी बताने वाले मुख्यमंत्री बघेल ने केंद्र से उधार लेने की सीमा बढ़ाने की गुहार लगाकर यह साबित कर दिया है कि प्रदेश की अर्थ व्यवस्था बदहाल हो चुकी है और सरकार का अब हालात पर कोई क़ाबू नहीं रह गया है। डॉ. सिंह ने कहा कि प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने अपने आर्थिक कुप्रबंधन के चलते छत्तीसगढ़ को कर्ज़ के दलदल में धकेल दिया है। ऐसी सरकार को तत्काल सत्ता छोड़ देनी चाहिए।
रमन सिंह ने कहा कि प्रदेश के मुख्यमंत्री बघेल गाहे-बगाहे पिछले 18 महीनों से यह दावा करते रहे हैं कि प्रदेश की अर्थ व्यवस्था मज़बूत है, सबसे अच्छी है और प्रदेश सरकार सबको पर्याप्त रोज़गार मुहैया कराके ग्रामीण अर्थ व्यवस्था को मज़बूती देने में सफल रही है, तो फिर वे रोज़-रोज़ केंद्र सरकार को पत्र लिखकर क्यों प्रदेश की अर्थ व्यवस्था का रोना रो रहे हैं? डॉ. सिंह ने कहा कि दरअसल प्रदेश सरकार प्रदेश की आर्थिक बदहाली के बारे में तथ्यों को छिपाकर अपने झूठ का ऐसा मकड़जाल बुन चुके हैं कि अब उससे बाहर निकलने का कोई रास्ता उन्हें सूझ नहीं रहा है और केंद्र सरकार को रोज़ चिठ्ठियाँ लिख-लिखकर अपने नाकारेपन को केंद्र के ज़िम्मे धकेलने में लगे हैं।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार के वित्तीय कुप्रबंधन के चलते बज़ट घाटा बेहिसाब बढ़ा है। पिछले वर्ष लगभग 10,881 करोड़ रुपए के अनुमानित वित्तीय घाटे के विरुद्ध लगभग 21,089 करोड़ रुपए का वास्तविक वित्तीय घाटा प्रदेश को उठाना पड़ा है। इस प्रकार निर्धारित 3 फीसदी के बजाय प्रदेश के बज़ट का अनुमानित वित्तीय घाटा लगभग 6.5 फीसदी तक पहुँच गया। डॉ. सिंह ने कहा कि प्रदेश के मुख्यमंत्री बघेल अब अपने वित्तीय कुप्रबंधन का ठीकरा केंद्र सरकार पर फोड़ने की राजनीतिक नौटंकी पर आमादा नज़र आ रहे हैं और केंद्र सरकार से लगातार पैसे मांगते रहने के बाद अब उन्होंने केंद्र सरकार और रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया से प्रदेश के लिए उधार लेने की सीमा बढ़ाने की मांग कर नई पैंतरेबाजी दिखाई है।
भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. सिंह ने कहा कि प्रदेश सरकार के वित्तीय कुप्रबंधन का यह आलम तब है जब कोरोना संकट के कारण लॉकडाउन की स्थिति में विकास व निर्माण के सारे काम लगभग बंद है और प्रदेश सरकार पर खर्च का कोई बड़ा बोझ नहीं है। डॉ. सिंह ने दुहराया कि इस प्रदेश सरकार ने अपने वित्तीय कुप्रबंधन के चलते छत्तीसगढ़ को कर्ज़ के दलदल में धकेल दिया है और प्रदेश को कंगाल करने में कोई कसर बाकी नहीं रखी है। अपने अफसरों-कर्मियों की दो वेतनवृद्धि रोककर भी सरकार न तो उन्हें वेतन देने की स्थिति में है और कोरोना वॉरियर्स को वेतन व अन्य आर्थिक सुरक्षा दे रही है। बार-बार केंद्र से पैसे ही मांगते रहने वाली सरकार अपने वित्तीय संसाधनों से राज्य की ज़रूरतों को पूरा नहीं कर पा रही है तो उसे तत्काल सत्ता छोड़ देनी चाहिए।