सुप्रिया पांडे,रायपुर। कोरोना के चलते जारी लॉकडाउन में दूसरे राज्यों में फंसे लोगों को सबसे ज्यादा परेशानी झेलनी पड़ी है. कुछ सरकारों की मदद से, तो कुछ स्वयं की व्यवस्था से घर लौट रहे हैं. दीन दयाल ग्रामीण कौशल योजना के तहत रोजगार के सिलसिले में राजस्थान गए छत्तीसगढ़ के आदिवासी बच्चे वही फंस गए थे. कुछ दिनों पहले राजस्थान से वीडियो जारी कर इन्होंने सीएम बघेल से मदद की गुहार लगाई थी, लेकिन न तो राजस्थान सरकार ने इनकी सुध ली और ना ही छत्तीसगढ़ सरकार ने. आखिरकार परेशान 7 युवक-युवतियां खुद के पैसे से वाहन की व्यवस्था कर आज छत्तीसगढ़ लौटे है. ये सभी राजनांदगांव, बिलासपुर और धमतरी जिले के ग्रामीण इलाके के रहने वाले है.

राजस्थान से लौटे राजनांदगांव निवासी हितेश ने बताया कि नौकरी करने के दौरान लॉकडाउन में फंस गए थे. 2 महीनों तक हमारे खाते में 5 हजार आया, उसके बाद सैलरी नहीं मिली. छत्तीसगढ़ शासन को आवेदन दिया था, लेकिन गाड़ी नहीं भेजी गई. दिलीप कुमार ने कहा कि छत्तीसगढ़ में खुद के पैसे से वापस लौटे हैं. इतने दिन तक सरकार ने कुछ व्यवस्था नहीं की थी. इसलिए हमें प्राइवेट वाहन कर घर आए है.

माकपा नेता संजय पराते ने बताया लॉकडाउन में यह समस्या खड़ी हुई है, अभी भी 20 से ज्यादा बच्चे फंसे हुए है. छत्तीसगढ़ को सस्ते श्रम के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है. सरकारी योजना बनाकर काम कराए जा रहे है. इन्होंने 3 महीने राजस्थान में काफी मुश्किल से काटा है. भाजपा के सरकार के समय में दीन दयाल ग्रामीण कौशल योजना लागू हुई थी. कांग्रेस सरकार को इसकी जांच करनी चाहिए. इस तरह से जालसाजी में फंसने से आदिवासी छात्रों को रोका जाए.